सोमवार, 16 मई 2011

स्ट्रोक :कुछ पारिभाषिक शब्द प्रयोग .

एक्यूट स्ट्रोक ?
ए स्त्रेज ऑफ़ स्ट्रोक स्टार्टिंग अट दी ओंसेट ऑफ़ सिम्टम्स एंड लास्ट्स फॉर ए फ्यू हावर्स .यानी लक्षणों के प्रगटीकरण के चंद घंटो तक बने रहने वाली स्ट्रोक की प्रावस्था ,स्टेज या फेज़ ।"एक्यूट स्ट्रोक "समझी जाती है ।
एग्नोज़िया :
एक बोध सम्बन्धी अक्षमता जिसमे मरीज़ को शरीर के एक ओर के हिस्से का कोई बोध ही नहीं रहता ,अनजाने से लगतें हैं अपने ही शरीर के अंग ,मरीज़ अपने ही अंगों को पहचानना भी भूल सकता है स्ट्रोक के इस उत्तर प्रभाव में .(२)एनोक्ज़िया (अनोक्सिया ):इस स्थिति में कोशा (कोशिका या सेल )तक नाम लेने भर को या बिलकुल भी ऑक्सीजन नहीं पहुच पाती है नतीजा होता है ,ऊर्जा का निम्तर उत्पादन ,और आखिर में कोशिका की मौत ।
(३)एंटी -को -एग्युलेंट्स :वे दवाएं हैं जो ड्रग थिरेपी के अंतर गत खून के थक्कों को बनने से रोकने के लिए दी जातीं हैं ,यही थक्का किसी सेरी -ब्रल आर्टरी (दिमाग को खून ले जाने वाली दिमाग की या गर्दन की धमनी में कहीं और से आकर अमूमन दिलसेआकर ,फंस जाता है और स्ट्रोक की वजह बन जाता है .(स्कीमिक स्ट्रोक )।
(४)एंटी -प्लेट -लेट एजेंट्स :ड्रग थिरेपी के तहत स्ट्रोक के मरीजों को दी जाने वाली वह दवाएं जो प्लेटलेट्स के लिए धारा १४४ साबित होतीं हैं यानी इन्हें एक जगह पर उपद्रव करने के लिए एकत्र नहीं होने देतींहैं .यही एकत्रण प्लेटलेट्स का थक्कों की बुनियाद रखता है .एस्पिरिन और टिक्लो -पिडींन ,एंटी -प्लेट -लेट दवाएं ही हैं ।
प्लेटलेट खून का वह रंगहीन हिस्सा है जिसमे बड़ी तादाद में तस्तरी के आकार की कोशिका संरचनाएं होती हैं ।
(५)एंटी -थ्रोम -बोटिक्स :खून में मौजूद एक प्रोटीन होती है थ्रोमबिन इनके खून में थक्का बनाने के असर को ,एक्शन को ,काम को, तमाम करती हैंसमाप्त करती हैं , एंटी -थ्रोम्बोतिक दवाएं ,जिन्हें एक तरह की एंटी -को -एग्युलेंत थिरेपी ही समझा जाना चाहिए ।
(६)अफेज़िया :इस स्थिति में दिमाग को स्ट्रोक से पहुँचने वाली क्षति की वजह से दिमाग का संभाषण केंद्र ही ध्वस्त हो जाता है .नतीजा होता है लिखे को समझना ,वाक्य बनाना ,बोल पाने ,संभाषण करने की कूवत का चुक जाना ।
(७)अपा -प्लेक्ज़ी (अपोप्लेक्स्य ):अब केवल इतिहासिक सन्दर्भ बाकी है इस शब्द प्रयोग का जो कभी स्ट्रोक के लिए स्तेमाल किया जाता था ,अब सेरिब्रल स्ट्रोक (दिमागी दौरे )के लिए इसका प्रयोग नहीं किया जाता है .पूर्व में इंट्रा-सेरिब्रल हेमरेज के लिए यह शब्द प्रयोग चल पड़ा था .किसी भी डिस -ओरिएंटेशन या परल्य्सिस से ताल्लुक रखने वाली स्थिति को अपा -प्लेक्सी कह दिया जाता था ।
(८)आर्ट -ईरियो -ग्रेफ़ी :केरोटिड आर्टरी का एक ख़ास डाई इंजेक्ट करने के बाद लिया गया एक्स रे(आर्ट -ईरियो -ग्रेम )तथा प्रक्रिया आर्ट -ईरियो -ग्रेफ़ी कहलाता है .(गर्दन /गले के दोनों और एक एक प्रधान धमनी होती है यही केरोटिड आर्टरी है ).
(९)अप्रक्सिया :बाद स्ट्रोक के एक ऐसी स्थिति होती है जिसमे दिमाग के उन हिस्सों को क्षति पहुँचती है जो वोलंटरी मूवमेंट का आदेश मोटर न्युरोंस के ज़रिये भेजतें हैं .इसमें हुनर से ताल्लुक रखने वाला कोई हाथ पैरों का काम ,उद्देश्य परक वोलंटरी मूवमेंट व्यक्ति नहीं कर पाता है .
(१०)वेसो -डाय -लेटर्स :वो दवाएं /चिकित्सा जो दिमाग को होने वाली रक्तापूर्ति में वृद्धि करवादे ,रक्त वाहिकाओं को फैला चौड़ा कर विस्फारित कर दाय्लेट करवाके .
(११)वर्टिब्रल आर्टरी :गर्दन के किसी भी बाएं /दायें पार्श्व में मौजूद धमनी ।
(१२)केरोटिड आर्टरी :गर्दन के किसी भी पार्श्व बाएं /दायें में मौजूद धमनी ।
(१३)अनयूर्य्स्म (अन्नियूरिज्म ):ए फ्लुइड फिल्ड सेक इन दी वाल ऑफ़ एन आर्टरी देट कैन विकिन दी वाल .
एन एब्नोर्मल बेलून लाइक स्वेलिंग इन दी वाल ऑफ़ एन आर्टरी .या फिर इसे यूं भी समझ सकतें हैं -
किसी धमनी कावह कमज़ोर स्थल जो या तो विस्तारित हो गया है या फिर दीवार से बाहर की तरफ गुब्बारे की तरह फूल गया है .तथा जिसमे खून भी भर गया है ॥
अन्नियूरिज्म एक तरह का धमनी को होने वाला डेमेज हैनुकसानी है , जिसकी वजह से रक्त वाहिकाओं की दीवारों के बीच में रक्त एकत्र हो जाता है .
(ज़ारी....)

1 टिप्पणी:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

पीरिङाषिक शब्दावली बहुत उपयोगी रही!
जानकारी के लिए आभार!