(१४)आर्ट -ईरियो -वेनस -माल -फोरमेशन :यह एक जन्मजात विकार है जिसमे नवजात पेट से ही पेचीला तरीके से उलझी हुई धमनियां और शिराएँ लिए आता है ।
(१५)आर्थी -रीइयो -स्क्लेरोसिस :यह एक रक्त वाहिका रोग है ,ब्लड वेसिल्स डिजीज है ,जिसमे बड़ी और मंझोले आकार की धमनियां, लिपिड मेटीरियल (कोलेस्ट्रोल प्लाक )अन्दर की दीवारों मेंजमा होजानेसे कठोर ,सख्त और अन्दर से खुरदरी होते होते भंगुर ही हो जाती हैं . टूटने फटने के आसार हो जातें हैं इनके ब्लड प्रेशर बढने से ।
(१६)एट्री -यल फिब्रिलेशन:बाएं एट्रियम या फिर चार कमरों वाले दिल के ऊपरी और बाएं और के कक्ष की बीटिंग का अनियमित हो जाना .
(१७)ब्लड ब्रेन बेरियर :यह सहायक दिमागी कोशिकाओं का एक अंतर -जाल है ,जो रक्त वाहिकाओं को घेरे रहता है तथा न्युरोंस (दिमाग तंत्र की एकल कोशिका को न्यूरोन कहतें हैं )को खून के सीधे संपर्क में आने से बचाए रहता है .(१८)केरोटिद एंदार -टेरेक -टमी:गर्दन के बगल की आर्टरी में ज़मा कोलेस्ट्रोल प्लाक की सफाई की एक शल्य तरकीब है .प्रोसीज़र है ।
(१९)सेन्ट्रल स्ट्रोक पैन :स्ट्रोक से दिमाग के एक हिस्से थेलेमस को क्षति पहुँचने से एक अपनी ही अलग मारक किस्म का दर्द मरीज़ को होता है जिसमे आत्यंतिक गर्मी ,सर्दी ,जलन ,सुन्नी ,पूरे शरीर में चींटी काटने जैसी चुभन का मिला जुला एहसास सालता है .यह एक शार्प स्टेबिंगतथा अंडर -लाइंग एकिंग पैन है .जो सिर्फ और सिर्फ स्ट्रोक के मरीज़ को ही बाद या स्ट्रोक के दरमियान होता है .हो सकता है .
(२०)सेरिब्रल ब्लड फ्लो :ऐसी धमनियों में प्रवाहित होने वाला रक्त जो दिमाग तक पहुंचता (सेरिब्रो -वेस्कुलर सिस्टम तक जाता है )सेरिब्रल ब्लड फ्लो कहलाता है .सेरिब्रल का मतलब ही दिमाग से सम्बन्धी होता है ।
(२१)सेरिब्रो -स्पाइनल फ्ल्युइड :रीढ़ रज्जू और दिमाग को एक तरल संसिक्त ,आप्लावित किये रहता है ,जिसे सेरिब्रो -स्पाइनल फ्ल्युइड कहा जाता है ।कपाल रुपी अस्थियों का बक्सा और यह तरल दोनों दिमाग की हिफाज़त करतें हैं ,शोक्स से .
(२२)सेरिब्रो -वेस्क्युलर डिजीज :इस रोग में दिमाग को होने वाली रक्त की आपूर्ति घट जाती है .जिसकी वजह या तो धमनियों में फंसने वाला खून का थक्का बनता है ,या धमनियों में कोलेस्ट्रोल प्लाक जमा होने से धमनियों का संकरापन इस रक्त अभाव की वजह बनता है (स्टेनोसिस ।).
(ज़ारी ...)।
इस मर्तबा का शैर सुनिए :
महफ़िल में तेरी लौट के फिर आगया हूँ मैं ,
शायद मुझे निकालकर पछता रहें हों आप .
मंगलवार, 17 मई 2011
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6 टिप्पणियां:
It's a great post . You have beautifully described the meaning of commonly used terms.
.
@-महफ़िल में तेरी लौट के फिर आगया हूँ मैं ,
शायद मुझे निकालकर पछता रहें हों आप ...
कुछ लोग जीवन में ऐसे होते हैं , जिन्हें निकालकर हम सचमुच पछताते हैं । ये उनका बड़प्पन ही है जो वे हमारे पास लौटकर स्वयं ही आ जाते हैं और हमें इस एहसास से बचा लेते हैं की हमने कुछ खो दिया है ।
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शुक्रिया आपका तहे दिल से !
उपयोगी जानकारी के साथ लाजवाब शेर पढ़कर बड़ी ख़ुशी हुई !
आभार !
आपके ठिकाने पर जब भी आओ, हमेशा जानदार काम की जानकारी मिलती है,
ज्ञान चंद मर्मज्ञ जी ,संदीप पंवारजी,आपदोनो का शुक्रिया .
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