(१)क्या शर्म- शार होने ,शर्मिंद -गी और अपमानित होने का भय आपको कुछ चीज़ें करने और लोगों से मिलने से रोक रहा है ?
(२)क्या आप उन गति विधियों से छिटक -तें हैं जहां आपको लगता है "फोकस /केंद्र बिन्दु "में आप ही हैं ?
(३)क्या आपको लगता है बे -वकूफों की तरह दिखना आपका सबसे बड़ा भय है ?
(ज़ारी ...)
रविवार, 8 मई 2011
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2 टिप्पणियां:
अच्छी जानकारी....
शुक्रिया ,वर्षाजी आपका .आपकी नै ग़ज़ल का बे -तहाशा इंतज़ार है .आपकी ग़ज़ल "धूप साया नदी हवा औरत "का री -मिक्स भी हमने प्रस्तुत किया है ,कृपया पढ़ें ,गत पोस्टों को देखें .
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