मेडिकेशन या ड्रग थिरेपी स्ट्रोक का आमफ़हम इलाज़ है .आम तौर पर जो दवाएं स्तेमाल कीजातीं हैं वे एंटी -थ्रोम्बोतिक्स (इनमे शामिल हैं एंटी -प्लेट -लेट तथा एंटी -को -एगुलेन्ट एजेंट्स ),थ्रोम्बोलितिक्स तथा न्यूरो -प्रोटेक्टिव एजेंट्स हैं ।
एंटी -थ्रोम -बोतिक्स दवाएं खून के थक्कों का बनना रोकतीं हैं जो किसी दिमागी धमनी (सेरिब्रल आर्टरी )में फंस कर स्ट्रोक पैदा कर सकता है .एंटी प्लेटलेट ड्रग्स भी खून में प्लेट लेट्स की सक्रियता को कम करके थक्कों का बनना रोकतीं हैं .प्लेटलेट एक जल आधारित रंगहीन डिस्क की आकृति की कोशिकीय संरचनाएं हैं (१-२माइक्रो -मीटर आकार की )की जो खून में बड़ी तादाद में मौजूद रहतीं हैं ।
कुलमिलाकर ये दवाएं खून में थक्का बनने के जोखिम को घटातीं हैं जो स्कीमिक स्ट्रोक की वजह बनता है ।
काया चिकित्सक थक्का रोधी इन दवाओं का स्तेमाल आम तौर पर बचावी चिकित्सा(प्रिवेंटिव मेडिसन ) के बतौर ही करतें हैं .
एस्पिरिन एक बहु -विख्यात एंटी -प्लेट -ड्रग ही है .क्लोपी- डोग्रेल ,तथा ताईक्लोपिडींन भी एंटी -प्लेट -लेट ड्रग के रूप में काम में ली जातीं हैं ।
एंटी -को -एगुलेंट्स :रिस्क के खतरे के वजन को कम करने के लिए ये दवाएं खून के थक्का बनाने के गुण को घटातीं हैं .वार्फरिन तथा हेपरिन यही काम करतीं हैं .
नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ न्युरोलोजिकल डिस -ऑर्डर्स एंड स्ट्रोक (एन आई एन डी एस )ने दोनों में से (एंटी -को -एगुलेंट्स तथा एंटी -प्लेट -लेट्स )किसकी कारगरता ज्यादा रहती है इस काम को अंजाम देने में यह पता -लगाने के लिए अनेक ट्रायल्स प्रायोजित किये हैं ।
एक और ऐसे ही ट्रायल में (दी स्ट्रोक प्रिवेंशन इन एत्रियल फिब्रिलेशन)पता चला ,एस्पिरिन उन मरीजों में जो एत्रियल फिब्रिलेशन से ग्रस्त रहतें हैं दूसरे दिमागी दौरे (ब्रेन स्ट्रोक ,ब्रेन अटेक )के खतरे को कम करने में तो कारगर भूमिका निभाती है ,लेकिन जिन मरीजों में इसके साथ साथ दूसरे रिस्क फेक्टर्स भी रहतें हैं उन पर वार- फ़रीन चिकित्सा ज्यादा असर ,ज्यादा अच्छा काम करती है .
एक और ट्रायल (दी ट्रायल ऑफ़ ओर्ग १०१२७ इन एक्यूट स्ट्रोक प्रिवेंशन )में पता चला "लो मोलिक्यूलर वेट" वाली हेपरिन (ओर्ग १०१२७ )एंटी -को -एगुलेन्ट के रूप में रिकरेन्ट स्ट्रोक्स को रोकने में आमतौर पर कारगर नहीं रहती है .आउटकम ,एक्स -पेक -टेशन ,प्रोग्नोसिस भी उतनी अच्छी नहीं रहती है ।
(ज़ारी ...)
आज का शैर पढ़िए :
झुककर सलाम करने में कोई हर्ज़ तो नहीं ,
सिर इतना मत झुकाओ कि दासतार गिर पड़े ।
दासतार =पगड़ी .
शनिवार, 14 मई 2011
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