जब ब्रेन अटेक पड़ता है दिमाग को ब्लड सप्लाई बाधित हो जाती है .ब्लड फ्लो फ़ैल हो जाने पर ,रक्तापूर्ति कम हो जाने पर ऑक्सीजन की भी कमी हो जाती है लिहाजा दिमागी कोशिकाएं मरने लगती हैं ,न्युरोंस नष्ट होने लगतें हैं .
मोटे तौर पर स्ट्रोक पड़ने पर -
या तो दिमाग को ब्लड फ्लो की कमी हो जाती है या रक्त स्राव दिमाग के अन्दर अन्दर होने लगता है ।
ब्रेन या नेक में ब्लड फ्लो की कमी से पैदा होने वाले स्ट्रोक को "स्कीमिक स्ट्रोक "कहा जाता है अकसर यह उतना घातक नहीं होता है .८०%मामलों में यही ब्लोकेड स्ट्रोक (स्कीमिक )की वजह बनता है ।
तीन वजहें हो सकती हैं इस स्कीमिक स्ट्रोक की :
(१)ब्रेन या गर्दन की धमनी में खून का थक्का फंसना (थ्रोम-योसिस )।
(२)एम्बोलिज्म :यानी शरीर के किसी और हिस्से से चलके खून का थक्का नेक या ब्रेन में आके फंस जाए । मसलन दिल से चलकर थक्का दिमाग तक आजाये .
(३)स्टेनोसिस :इस स्थिति में गंभीर रूप से दिमाग में मौजूद किसी आर्टरी में या दिमाग तक आने वाली किसी आर्टरी में संक्रापन ,नेरोइंग हो जाती है ,अन्दर से खुरदरी और कठोर पड़ जाती है आर्टरी .ज़ाहिर है पूरा खून नहीं उठा पाती ऐसे में .
दूसरे किस्म के स्ट्रोक में जिसे "हेमोरेज़िक स्ट्रोक "कहा जाता है ,दिमाग में या इसे घेरे रहने वाले अंतराल (आकाश ,स्पेस में )रक्त स्राव होता है .दिमाग खोपड़ी नामक अस्थियों के बक्से में रखा रहता है .हिफाज़त के लिए कई तरह के तरल भी होतें हैं ।
स्ट्रोक से बचावके लिए इसके लक्षणों और जोखिम ,रिस्क फेक्टर्स से वाकिफ होना है ,नोलिज इज पावर ।
(ज़ारी ...)
रविवार, 8 मई 2011
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