कोई लाइ सेन्स -शुदा थिरेपिस्ट ,मनो-रोग -विद ,क्लिनिकल कोंसेलर ,मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल ही इसका रोग निदान (डायग्नोसिस )कर सकता है .बेशक कुछ लक्षण है जिनसे आप अब तक इस लेख माला में वाकिफ हो चुके होंगें ।
इक अध्ययन के अनुसार रोग की सही शिनाख्त होने से पहले कई मर्तबा लोग दस दस चिकित्सकों के पास जा चुके होतें हैं .और केवल चार में से इक मरीज़ को ही सही इलाज़ मयस्सर हो पाता है .इतनी धुंध है इलाज़ और रोग निदान में ।नीम हकीम के पास न जाइए ।
इसलिए भी रोग के लक्षणों की पूरी जानकारी होना ज़रूरी हैं .और यह भी उतना ही ज़रूरी है आपको सही मदद मिले ।
एकया दो पेनिक अटेक कितने ही लोगों को पड़ सकतें हैं पडतें हैं भी .असल बात यह "अटेक का डर लगातार बने रहना .यही प्रमुख लक्षण है ,अटेक से ज्यादा अटेक का डर .फीयर ऑफ़ फीयर ।
अगर किसी व्यक्ति को बार -बार चार या इससे भी ज्यादा अटेक पडतें हैं और इस दौर में फिर एक औरअटेक का ख़तरा लगता है खौफ बना रहता है तब यह साफ़ लक्षण हैं और यही वक्त है माहिरों के पास जाने का ।
(ज़ारी ..).
मंगलवार, 3 मई 2011
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