इनमे शामिल हो सकतें हैं :पोस्ट त्रौमेतिक स्ट्रेस दिस -ऑर्डर के खतरे को बढाने वाले कारकों के रूप में -
(१)सदमा पैदा करने वाली घटना का देर तक बने रहना तथा पहले भी ऐसे हादसों को सहते झेलते रहना जो व्यक्ति की साख ,अस्मिता और आगामी जीवन के लिए ही दुखदाई बन जाए जैसे किसी युवती का यौन शोषण ज़ारी रहना ।फुकुशिमा जैसी त्रासदी पहले भूकंप फिर सुनामी फिर रेडियेशन लीकेज .सदमे पैदा करने वाली घटना का बहुत गहरा प्रभाव तन मन पर पड़ना ,सीवीयर -ईटी ऑफ़ दी ट्रौमा एक्स- पीरियेंस्द
(२) घटना से पहले भी किसी संवेगात्मक (भावात्मक अभाव,रागात्मक - स्थिति का मौजूद होना ,दोस्तों और रिश्ते नातों से नाम लेने भर को या फिर कोई मदद न मिलना ,घटना के बाद .
अलावा इसके बच्चों ,किशोर -वृन्द ,महिलाओं के लिए ,उन लोगों के लिए जिनमे कोई लर्निंग डिस-एबिलितीज़ रही आई हों या जो घरेलू हिंसा का शिकार होते रहें हो "पी टी एस डी "का जोखिम बढा हुआ रहता है .
(३)आजकल आपदा प्रबंधन का प्रशिक्षण कई मुल्कों में चुनिन्दा स्थानों पर दिया जाता है इससे फौरी सुरक्षा को भी ख़तरा कम रहता है ,कई शरण स्थलियों का ,और बचावी उपायों का इल्म होता है हादसों की ,प्राकृतिक आपदा की मार से बचे रहने का भी ।
यही वजह है पोलिस ,फायर -फाइटर्स ,मनो -रोगों के माहिर अन्य मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल्स ,आदि अपेक्षा -कृत सदमो की मार से पी टी एस डी की चपेट में आने से बचे रह सकतें हैं ।
कुछ दवाएं भी खासकर अवसाद के प्रबंधन में काम में ली जाने वाली दवाएं ,हार्ट रेट को कम करती हैं तथा कुछ और बॉडी केमिकल्स के एक्शन को बढ़ाती हैं ,पी टी एस डी से बचे रहने में सहायक सिद्ध होतीं हैं बा -शर्ते घटना (सदमा पहुंचाने वाली घटना )के फ़ौरन बाद मुहैया करवा दी जाएँ ।
(ज़ारी ...)
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