वार्निंग सा -इंज़ ऑफ़ ए ब्रेन अटेक :
आपका शरीर आपको चेताता है खबरदार करता है :भाइसाहिब दिमाग को आपके पूरी ऑक्सीजन नहीं मिल रही है .बाकायदा सिग्नल देता है आपको .यदि आप इनमे से किसी भी एक लक्षण को पहचान जाएँ तब फ़ौरन आपातकालीन सेवाओं से संपर्क करें .टाइम इज गोल्ड ।सावधानी का वक्त है ये .
(१)सडन नंब -नेस और वीकनेस ऑफ़ फेस ,आर्म और लेग .खासकर जब ऐसा शरीर के एक पार्श्व (एक ही हिस्से में होता लगे ).सब कुछ संवेदन हीन ,भावहीन ,स्पर्श की कोई अनुभूति नहीं ,सुन्न सब कुछ ,अनेबिल टू फील और हेव सेंसेसंस ,एज इफ सम वन इज टेकिंग अवे सेन सेसंस फ्रॉम ए पार्ट ऑफ़ बॉडी .दी पावर टू फील आल्सो .दिमागी सुन्नी कहतें हैं जिसे वह अनुभूत होना ।सुन्निपात कह लो .तुषारापात कह लो इसे .
(२)सडन कन्फ्यूज़न ,त्रबुल स्पीकिंग और अंडर -स्टेंडिंग (एक दम से भ्रम की स्थिति से घिर जाना ,न बोल पाना न कुछ समझ पाना .
(३)एक या दोनों आँख की बीनाई(विज़न ) का यकायक धुन्धलाना.
(४)चल न पाना ,चक्कर आना ,संतुलन न रख पाना ,डगमगाना ,समन्वय (कोर्डिनेशन )न कर पाना ,अंग संचालन में ।
(५)अचानक तेज़ सिर दर्द बिना किसी स्पष्ट वजह के ।
अलावा इसके एक एक वस्तु की दोदो वस्तुएं दिखना (डबल विज़न ).उन्नीदापन , मिचली आना खतरे की निशानी हैं .कई मर्तबा ये लक्षण चंद लम्हात तक ही प्रगटित ,मुखरित होतें हैं ,और फिर सब कुछ सामान्य लगने लगता है .गायब हो जातें हैं ये लक्षण ।
ये अल्पकालिक एपिसोड्स हैं स्ट्रोक के जिन्हें "त्रन्सिएन्त स्कीमिक या मिनी स्ट्रोक "कहा जाता है .इसकी अनदेखी नहीं करनी है यह खबरदारी का वक्त है ,मेडिकल हेल्प के बिना काम नहीं चलेगा .इन्हें तस्दीक करना ,एक -नोलिज करना आपकी जान बचा सकता है .यह आंधी -तूफ़ान ,गर्जन-तर्जन से पहले की ख़ामोशी है .
(ज़ारी ...)
हमेशा की तरह एक शैर पढ़ रहा हूँ आप भी पढ़िए -
ये कहते ,वो कहते ,जो यार आता ,
भई!सब कहने की बातें हैं ,कुछ भी न कहा जाता ,
जब यार आता ।
सन्दर्भ :हम उस दौर में स्कूल पढने जाते थे .रजिया मंजिल ,लाल तालाब ,बुलंदशहर(यु. पी ) के भाई मुबीन बरनी का संग साथ था .उन्हीं के घर वो दीवानजी आते थे -
एक झल्ली भर आम रखे होते ,दीवानजी खाते जाते ,बीच बीच में शैर पढ़ते जाते .तब ये बातें इतनी समझ में कहाँ आती थीं ,अलबत्ता उनका अंदाज़े बयाँ गज़ब का होता था .लफ़्ज़ों के मानी भी हम पूछते रहते थे .दीवानजी से .आज भी उनकी सफ़ेद शफाक दाढ़ी ,गौरा चिट्टा रंग ,पतली लम्बी कद काठी हमें याद है ,शैर भी उनके पढ़े हुए -अंदाज़े बयाँ भी .
सोमवार, 9 मई 2011
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