शनिवार, 14 मई 2011

स्ट्रोक के इलाज़ में शल्य का रोल .

नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ न्युरोलोजिकल डिस -ऑर्डर्स एंड स्ट्रोक ने केरोटिड इंदार -टेरेक -टमी की कारगरता का जायजा लेने के लिए दो नैदानिक परीक्षणबड़े पैमाने पर किये हैं ,पता चला यह एक सर्वथा निरापद और कारगर प्राविधि है ,यह उन लोगों को स्ट्रोक से बचाए रख सकती है जिनकी केरोटिड आर्टरी ५०%से भी ज्यादा अवरुद्ध हो चुकी है .(५०%स्टेनोसिस ).,बस वेस्क्युलर सर्जन को अपना काम आना चाहिए ,माहिरी में उसकी कोई शंका नहीं होनी चाहिए ।
"नोर्थ अमेरिकन केरोटिड -इंदार -टेरेक -टामी ट्रायल तथा दी एसिम्प -टोटिक केरोटिड आथिरीओ -सकेले -रो -सिस ट्रायल थे ये क्रमशय"।
फिल वक्त नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ न्युरोलोजिक्ल डिस -ऑर्डर्स एंड स्ट्रोक यह पता लगाने के लिए परीक्षण प्रायोजित कर रहा है ,"करो -टिड-रिवेस्कुलेराइज़ेशन इंदार -टेरेक -टमी तथा स्टंट -इंग "में से कौन सा तरीका केरोटिड स्टेनोसिस का बेहतर समाधान प्रस्तुत करता है ।
स्टंट -इंग में एक केथीतर टांग से प्रवेश करवाके गर्दन की अवरुद्ध धमनी तक पहुंचाया जाता है .इसके सिरे पर लगे छोटे से गुब्बारे को अब रेडियो -लोजी का माहिर धीरे धीरे फुलाता है ,बस धमनी से फैटी प्लाक हट जाता है ।
एक्स्ट्रा क्रेनियल तथा इंट्रा -क्रेनियल बाई पास सर्जरी :इस प्रोसीज़र में एक सिरों वल्क से होकर स्वस्थ धमनी द्वारा एक वैकल्पिक मार्ग तैयार किया जाता है ताकि दिमाग के उन ऊतकों तक रक्त की आपूर्ति बहाल हो सके जो अवरुद्ध हो गई थी ।
अलबत्ता आथिरो -सकेले -रोसिस से ग्रस्त उन मरीजों पर यह ज्यादा कारगर सिद्ध नहीं हुई है जो बारहा रिकरेन्ट स्ट्रोक से आजिज़ आ रहें हैं ।
लेकिन स्माल आर्टरी डिजीज ,कुछ अन्य वेस्कुलर एब्नोर्मेलेतीज़ तथा एनियुरिज्म से ग्रस्त मरीजों पर इसे आज भी यदा कदा आजमाया जाता है ।
एनियुरिज्म ही सब -आर्च -नोइड स्ट्रोक की वजह बनती है पूर्व की पोस्टों में हम पढ़ चुकें हैं ,इसी एनियुर्ज्म से बचाव के लिए अब शल्य का एक और नया तरीका आगया है -"क्लिपिंग "।
क्लिपिंग इन -वोल्व्स क्लेम्पिंग ऑफ़ दी एनियुरिज्म फ्रॉम दी ब्लड वेसिल व्हिच रिड्युसिज़ दी चांस देट इट विल बर्स्ट एंड ब्लीड.
अलावा इसके हाई -रिस्क इंट्रा -क्रेनियल एनी -युरिज्म के समाधान के लिए अब शल्य की एक और प्राविधि "डितेचेबिल कोइल "भी आगई है .इसमें एक प्लेटिनम कोइल जांघ (ग्रोइन )से प्रवेश कराके बारास्ता धमनी के एनी -युरिज्म की साईट तक ही पहुंचा दी जाती है .इसे एनी -युरिज्म में ही छोड़ दिया जाता है .यहाँ यह एक इम्यून प्रति क्रिया हमारे रोग प्रति -रोधी तंत्र से करवाती है .फलस्वरूप एनीयुरिज्म के अन्दर ही शरीर तंत्र एक खून का थक्का बनाने लगता है ,यही धमनी की दीवार को मजबूती प्रदान कर उसे फटन से बचाता है .
एनी -युरिज्म के स्तेब्लाईज़ हो जाने पर सर्जन के सधे हुए हाथ इसे क्लिप कर देतें हैं ,बस हेमरेज और इससे होने वाली मौत का ख़तरा कम हो जाता है ।
(ज़ारी ....)
हमेशा की तरह एक शैर पढ़िए :
शेख ने मस्जिद बना मिस्मार मय खाना किया ,
पहले कुछ सूरत तो थी अब साफ़ वीराना किया .

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