एक आम ,सामान्य ,नोर्मल बायो -फीड बेक सेशन में आपकी चमड़ी से इलेक्ट्रोड्स चस्पा (सम्बद्ध )कर दिए जातें हैं .ये एकछोटे से मोनिटरिंग बक्से तक सूचनाएं (सन्देश )भेजतें हैं .यहाँ सूचनाएं एक टोन(टोन इज ए साउंड ऑफ़ ए सिंगिल फ्रिक्युवेंसी ) में तबदील कर दी जातीं हैं ,जिसका पिच (तारत्व )बदलता रहता है ।
अब एक विज्युअल मीटर जिसकी ब्राइटनेस तबदील होती रहती है ,या फिर एक कंप्यूटरस्क्रीन , ग्रिड के एक्रोस बहुत सारी लाइनों को गतिमान होते हुए दिखलाता है .
यही वह पल होता है जब बाइयो -थिरेपिस्ट आप से एक मानसिक एक्सर -साइज़ करवाता है आप उसका अनुसरण करतें हैं ।
थ्रू" ट्रायल एंड एरर "आप धीरे धीरे मानसिक गतिविधियों की शिनाख्त करना सीख जातें हैं जो आपके शरीर में वांछित भौतिक परिवर्तन पैदा करतीं हैं .बस आप इनका ही अभ्यास पक्का करतें हैं .सेशन दर सेशन में ।
(ज़ारी ..)
शुक्रवार, 6 मई 2011
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