स्वास्थ्य से जुडी एकाधिक समस्याए हैं जिनमे बायोफीडबेक असरदार साबित होती है .मसलन मूत्र त्याग पर से नियंत्रण हट जाने की (यूरिनरी इन -कोंटिनेंस)परेशानी से कितने ही लोग असर ग्रस्त होतें हैं अनेक वजहों से .तकरीबन डेढ़ करोड़ अमरीकी यूरिनरी इन -कोंटिनेंस से असर ग्रस्त हैं ।
कुछ लोग तो दवाओं के ऊपर इसे तरजीह देतें हैं अपनी पहली पसंद बनातें हैं .क्योंकि बायोफीड बेक के पार्श्व प्रभाव नहीं हैं ।
बायो -फीड बेक को फीकल -इन -कोंटिनेंस में भी कारगर माना गया है ।उठते ही भागतें हैं लोग रेस्ट रूम की ओर.
थर्मल बायोफीड बेक: एक ऐसी बीमारी में भी असरदार पाई गई है जिसमे ऊंगलियों अंगूठों ,नाक या कानों की तरफ रक्त प्रवाह कम होने लगता है .(रय्नौद डिजीज कहा जाता है इसे ।).
इलेक्ट्रो -मायो -ग्रेफिक फीड -बेक :दर्द -हर (एन्ल्जेसिक )है ,सुबह सवेरे होने वाली पेशियों और जोड़ों की जकडन,मोर्निंग स्टिफ -नेस को कम करती है ।
"फाइबरो -मयाल- जिया "में भी राहत पहुंचाती है .
इनसोम्निया की शिकायत करने वालों को गहरी नींद लेने का मौक़ा दिलवाती है बायो -फीड बेक ।
बच्चों में भी बायो -फीड बेक का कामयाबी के साथ स्तेमाल किया जा सकता है .खासकर इलेक्ट्रो -एन सी -फेलो -ग्रेफ़ी फीड बेक न्यूरो- फीडबेक का .यह और भी कारगर हो जाती है जब इसकी आज़माइश कोगनिटिव थिरेपी(बोध या संज्ञानात्मक चिकित्सा ) के साथ- साथ की जाती है ।
अटेंशन डेफि -शीट-हाई -पर -एक -टीवीटी दिस -ऑर्डर के मामलों में भी इसे असरदार माना गया है .यह चिकित्सा पद्धति ऐसे बच्चों का व्यवहार और बौद्धिक स्कोर बढा सकती है .
बायो -फीड बेक का संग साथ रेशा बहुल खुराक के साथ -साथ बच्चों में पेट दर्द की शिकायत से राहत दिलवाता है .ये तमाम शोध नतीजे हैं जो अधुनातन शोध की खिड़की से छनके आरहें हैं ।
थर्मल फीडबेक नौनिहालों और किशोर वृन्द में "मीग्रैन "और "टेंशन हेडेक "का समाधान है ।
अलावा इसके इसकी उपयोगिताका दायरा स्वास्थ्य सम्बन्धी कई और तकलीफों तक जाता है मसलन :
(१)एनो -रेक्सिया नर्वोसा (किशोरियों का रोग मोटा होते जाने का डर जीरोसाइज़ की सनक )।
(२)एन्ग्जायती ।
(३)दमा (एस्मा )।
(४)ऑटिज्म (आत्म विमोह )।
(५)कमर दर्द ।
(६)बेड वेटिंग .
(७)क्रोनिक पैन (पुराना दर्द ,देर तक बने रहने वाला ,चिरकालिक ,ला -इलाज़ समझे जाने वाला दर्द )।
(८)कब्ज़ (कब्जियत ,कोंस -टी -पेशन )।
(९)डिप्रेशन (अवसाद )।
(१० )डायबिटीज़ मिलाइतिस(जीवन शैली मधुमेह रोग )।
(११)एपिलेप्सी एंड रिलेटिड सीज़र्स डिस -ऑर्डर्स।
(१२)सिर की चोट (हेड इन्जरीज़ )।
(१३)हाई -ब्लड -प्रेशर ।
(१४ )लर्निंग डिस -एबिलितीज़ ।
(१५)मोशन सिकनेस ।यात्रा के दौरान मिचली ,घुमेर आना ,नर्वसनेस आदि .
(१६ )मसल स्पाज्म ।
(१७)सेक्स्युअल डिस -ऑर्डर्स (इस विकार में मैथुन के दौरान महसूस अनुभूत होने वाला दर्द भी है ।कमोबेश इरेक्टाइल डिस -फंक्शन भी यानी लिंगोथ्थान अभाव ).
(१८)स्पाइनल कोर्ड इंजरी (रीढ़ रज्जू को पहुँचने वाली चोट ).
(ज़ारी ...).
शुक्रवार, 6 मई 2011
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