बुधवार, 4 मई 2011

कौज़िज़ ऑफ़ जन्रेलाइज़्द एन्ग्जायती डिस -ऑर्डर .

(१)न्यूरो -ट्रांस -मीटर्स का अनियमित स्तर :जी ए डी का सम्बन्ध दिमाग में बनने वाले न्यूरो -ट्रांस -मीटरों के इर्रेग्युअलर लेविल से जोड़ा गया है .यह कुछ जैव रसायन होतें हैं जो दिमागी डाकिये का काम करतें हैं .न्यूरोन -न्यूरोन संवाद स्थापित करवातें हैं .इसलिए इन्हें ट्रांस -मीटर/हरकारे या मेसेंजर कहा जाता है .
"गेड"जी ए डी के पीछे जिन जैविक रसायनों का हाथ हो सकता है वे हैं :
(१)नोर -एपिने -फ्राइन.(२)जी ए बी ए गाबा यानी गामा -एमिनो -ब्युतिरिक -एसिड ।(३)सेरो-टोनिन।

नोर -एपिनेफ्राइन :इसका ज़माव (सांद्रण )"लोकस सरुलेउस (नर्व क्लस्टर्स देट लाईज़ नियर दी ब्रैनस फोर्थ वेंट -रिकिल ) में रहता है .यहाँ इसकी अतिरिक्त सक्रियता ही एन्ग्जायती को बढा देती है तथा इस सक्रियता में कमी एन्ग्जायती को कम भी कर देती है ।
गाबा और सेरो -टोनिन के बढे हुए स्तर एन्ग्जायती को कम करते हुए प्रतीत होतें हैं .इन सभी का आपस में इन्ते -रेक्शन होता है बेहद की एन्ग्जायती के वक्त .
दी साइको -डायनेमिक थियरी :मनो -विज्ञान का यह सिद्धांत एन्ग्जायती को एक "एलारटिंग मिकेनिज्म "सावधान और सचेत करने वाली प्रक्रिया के रूप में लेता है .यह खबरदारी तब ज़रूरी हो जाती है जब हमारे अचेतन में जो प्रेरक चीज़ें हैं "अन -कोंन -शश मोटि- वेशंस" हैं उनकी भीडंत और सामना चेतन मन की अपनी सीमाओं से होती है .
यह कशमश "गेड "से ग्रस्त लोगों में ज़रा ज्यादा ही हो जाती है ।
बिहेवि- ओरल थिअरी :इस सिद्धांत के अनुसार एन्ग्जायती तब पैदा होती हैं जब व्यक्ति को यह पता नहीं चल पाता ,एक दी हुई स्थिति में उसे करना क्या है .
नकारात्मक नतीजे भुगतने की संभावना ,व्यवहार के अन -औचित्य की वजह से ही संकोच और निष्क्रियता ,इन -एक्शन पैदा करती है ।
दी एन्ग्जायती मे बी जन्रेलाइज़्द टू सिमिलर सिच्युएशन्स .मसलन एक ख़ास इम्तिहान ,टेस्ट्स के लिए आप जा रहें हैं इसमें पैदा होने वाली एन्ग्जायती भविष्य के बाकी सभी परीक्षणों में भी पैदा होगी .जब -ज़ब आप किसी टेस्ट के लिए जायेंगें एन्ग्जायती आपके साथ -साथ जायेगी ।
(ज़ारी ..).

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