रविवार, 1 मई 2011

पोस्ट त्रौमेतिक स्ट्रेस डिस -ऑर्डर :लक्षण क्या हैं .

कैसे पहचानियेगा ,कयास लगाइयेगा ,ये इलनेस पोस्ट ट्रौमेतिक स्ट्रेस डिस -ऑर्डर (पी टी एस डी )है .
पी टी एस डी से ग्रस्त लोगों को अविराम डरावने खयालात हादसे के आते रहतें हैं जैसे सब कुछ दोबारा से घटित हो रहा हो नतीज़न भावात्मक संवेगात्मक रागात्मक सुन्नी ,इमोशनल नंब -नेस उसे घेरे रहती है .खासकर उन लोगों के प्रति भाव जगत रीत जाता है जो कभी भावात्मक रूप से दिल के बहुत करीब थे ।
नींद ले पाने में दिक्कत हो सकती है हर चीज़ बेगानी सी लग सकती है कोई दिलचस्पी नहीं रह जाती है किसी चीज़ में .बहुत जल्दी ज़रा सी आहट पर व्यक्ति चौंक जाता है .हतप्रभ हो सकता है .डर जाता है हर छोटी बात से अनिष्ट की आशंका से घिरा रहता है ।
तीन वर्गों में रखा जा सकता है ,पी टी एस डी के लक्षणों को -
(१)री -एक्स -पीरियेंसिंग सिम्पटम्स :
फ्लेश्बेक में चले जाना ,बा -रहा उसी दंश से गुज़रना जो दुर्घटना ने दिया था .दिल की धडकनों का बेतहाशा बढ़ जाना ,पसीने में तर -बतर हो जाना ।
दुस्स्वप्न पीछा नहीं छोड़ते .भयाक्रांत करते तस्स्वुरात खयालात एक के बाद चले आतें हैं ।
ये तमाम लक्षण रोजमर्रा के कामों दैनिकी को चौपट कर देतें हैं .व्यक्ति के खुद के एहसास और सोच ही लक्षणों को परवाज़ देतें हैं ,उत्तरदाई होतें हैं इस दुर्दशा के लिए .
(२)एव्होइदेन्स सिम्पटम्स :उन स्थानों ,घटनाओं ,चीज़ों ,व्यक्तियों से छिटकना जो घटना की याद ताज़ा करते हों ।
(३)दिमाग को सुन्निपात हो जाना ,इमोशनल नाम्ब्नेस .भावहीन सपाट चेहरा ।गुमसुम बोल पाने में असमर्थ ।बोलने की इच्छा भी नहीं रहती .
(४)बेहद के अपराध बोध से घिरे रहना ,अवसाद और चिंताओं से घिर जाना ।
(५)कोई दिलचस्पी नहीं उन बातों में गति -विधियों में जो कभी जान से भी प्यारी थीं जिनके किये बगैर चैन नहीं पड़ता था ।
(६)उस भयावह घटना को याद करने में दिक्कत पेश आना ,हिम्मत न जुटा पाना उस ओर जाने की ।
जो चीज़ व्यक्ति को उस दुर -घटना की याद दिला सकतीं हैं वही इन एव्होइदेन्स सिम्पटम्स को प्रेरित कर सकतीं हैं एक ट्रिगर बन जातीं हैं इन लक्षणों के उभार और प्रगटन का .वह इनसे बचने के लिए अपने व्यक्तिगत रूटीन में भी तब्दीली कर सकता है .मसलन एक बेड कार एक्सीडेंट के बाद व्यक्ति ड्राइविंग से छिटक सकता हैं कहाँ लॉन्ग ड्राइविंग पर जाने का शौक था .जिस रास्ते पे दुर्घटना घटी थी उसका रुख नहीं करेगा .भूल के भी उधर नहीं जाएगा ।
(७)हाई -पर -एराउज़ल सिम्पटम्स :
(अ)जल्दी से बात -बात पे भौचकरह जाना ,चौंक उठना , बेहद डर जाना .
(आ)बेहद तनाव से दबे घिरे रहना ,फीलिंग टेंस ऑर"ऑन एज "
(इ)सोने में दिक्कत महसूस करना ,बार -बार गुस्से से फूट पड़ना .उबल पड़ना .कांपने लगना गुस्से से ।
हाई -पर -एराउज़ल लक्षण स्थाई भाव लिए रहतें हैं ,किसी चीज़ से प्रेरित नहीं होते हैं कोई चीज़ जो घटना की याद ताज़ा करती हो इनका ट्रिगर नहीं बनती है ,ये लक्षण पसरे रहतें हैं ,मन पे काया पे ।
ऐसे में व्यक्ति दवाब और आवेग ,क्रोधावेग से लबरेज़ रह सकता है .खाना ,सोना ,कहीं भी ध्यान टिका पाना सब मुहाल हो सकता है ,रोज़ -मर्रा के काम करने में भी भारी दिक्कत आती है ।
किसी भी खतरनाक दुर्घटना के बाद इनमे से कुछ लक्षणों का होना बिलकुल स्वाभाविक बात है .लेकिन कई मर्तबा बहुत ही गंभीर लक्षण मुखर रहतें हैं जिनका प्रगटन हफ़्तों रहता है .यह "एक्यूट स्ट्रेस डिस -ऑर्डर "है ।
जब ये लक्षण कई हफ़्तों बने रहतें हैं तथा एक समस्या बने रहतें हैं तब यह -"पी टी एस डी "के ही लक्षण हो सकतें हैं .कई लोगों में ये लक्षण क्या कोई भी लक्षण हफ़्तों क्या महीनों प्रगट नहीं होते .कई मामलों में दो साल के बाद भी ऐसा हुआ है हालाकि यह बिरले ही हुआ है .ऐसे मामलों में सुधार आना ज्यादा दुस्साध्य सिद्ध होता है .
(ज़ारी...).

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