रविवार, 1 मई 2011

पोस्ट ट्रौमेतिक स्ट्रेस डिस-ऑर्डर :इलाज़ क्या है ?

ट्रीट -मेंट ऑफ़ पी टी एस डी :
असरकारी इलाज़ सदमे से पैदा हुए इस विकार का फिलवक्त उपलब्ध है .मेडिकल कोलिजिज़ में ट्रौमा सेंटर्स विशेष तौर पर उपलब्ध हैं .रिसर्च की खिड़की से छनके एक से एक नया इलाज़ और थिरेपीज़ आ रहीं हैं .ताकि लोग इस और ऐसे ही एन्ग्जायती डिस -ऑर्डर से तालमेल बिठाके सदमे से उबर सकें .
ट्रीट -मेंट्स में शामिल हैं :
(१)साइको -थिरेपी (क्लिनिकल साइकोलोजिस्ट के साथ सलाह मश्बिरा )/टाक - थिरेपी ।
(२)मेडी -केसंस ।
(३)ड्रग -थिरेपी और साइको -थिरेपी साथ -साथ ।
(४)कोगनिटिव बिहेवियर थिरेपी ।
इसमें व्यक्ति का भाव -विरेचन ,कैथार्सिस कराई जाती है .उसे घटना को रिकाल करने के लिए कहा जाता है कई बार संवेग दबे रह जाते हैं व्यक्त नहीं हो पाते .धीरे धीरे वह घटना के दंश से मुक्त होने लगता है .कई महिलायें जवान पति की आकस्मिक मृत्यु के बाद रो ही नहीं पातीं हैं ,बुजुर्ग महिलायें उन्हें रुलातीं हैं .कर्म काण्ड ,संस्कार, खासकर अकाली मृत्यु में व्यक्ति को सदमे से बाहर लाने में कई बार विधायक भूमिका निभातें हैं .इसी लिए चौथे ,दसवां और तेरहवीं का विधान रखा गया है हिंदुत्व जीवन शैली में ।

हर व्यक्ति अलग होता है इसलिए कोई युनिवर्सल ट्रीट -मेंट नहीं है ,सबके लिए .
कई बार व्यक्ति (बालक या किशोर -किशोरी )किसी ट्रौमा को लगातार झेल रहें होते हैं डरे सहमे किसी से कह नहीं पाते अपने शोषण की कथा ,इस शोषण में शारीरिक और मानसिक दोनों तरह की चोट असर ग्रस्त व्यक्ति को लगातार पहुँच रही होती है .ऐसेमें दोनों का निदान -समाधान करना ज़रूरी होता है .कितने ही" एब्युसिव- रिलेशन- शिप "'कालगातार सदमा झेल रहे होतें हैं ।इन्हें इससे बाहर निकालना ही होता है ।
(ज़ारी ...)
दूसरी समस्याओं में पैनिक डिस -ऑर्डर ,डिप्रेशन ,सब्सटेंस एब्यूज (नशे /नशीले पदार्थों की लत ),आत्म ह्त्या का विचार भी सदमे से ग्रस्त व्यक्ति को लपेटे में लिए रहता है .इन सब स्थितियों को एड्रेस करना होता है ।
(ज़ारी ...)

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