शनिवार, 12 फ़रवरी 2011
क्या अन्य रोगियों की बनिस्पत (तुलना में )मधुमेह रोगी बांझपन का ज्यादा शिकार होता है ?
पहले तो आपको बत्लादें यह समस्या पुरुष के आड़े ही आती है .मधु -मेह अनियंत्रित रहने से पीनाइल आर्त्रीज़ (शिश्न तक रक्त पहुंचाने वाली धमनियां )तक पूरा रक्त कामुत्तेजना के क्षणों में भी नहीं पहुँच पाता .नतीजा होता है 'इरेक्टाइल -डिस-फंक्शन'/लिंगोथ्थान अभाव .लेकिन ब्लड सुगर नियंत्रित रहने पर ऐसा कुछ भी नहीं होता है .आम दर पुरुष बांझपन की नॉन -दाय्बेतिक्स जैसी ही रहती है .असल बात है मधुमेह पर नियंत्रण .स्वस्थ जीवन शैली ,नियमित दवा दारु और व्यायाम . मधु -मेह नियंत्रित रहने पर बांझपन का कोई सवाल ही नहीं पैदा होता .
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