बुधवार, 2 जून 2010

गर्भावस्था के दौरान अवसाद रोधी दवाएं कितनी निरापद ?

एक ताज़ा अध्धययन के मुताबिक़ गर्भावस्था के दरमियान अवसाद रोधी दवाओं (एंटी -डिप्रेसेंट )का सेवन बच्चे के गिरने (मिस्केरिज )के खतरे के वजन को ६८ फीसद बढा देता है .गर्भावस्था के दरमियान एंटी -डिप्रेसन का चलन आम रहा है .तकरीबन ३.७ फीसद गर्भवती महिलायें पहली तिमाही में कभी ना कभी अवसाद -रोधी दवाओं का सेवन करतीं हैं .दवाओं को यकायक बंद करने से दोबारा अवसाद ग्रस्त होने का ना सिर्फ जोखिम बढ़ जाता है ,जच्चा -बच्चा (गर्भस्थ )केलियें ख़तरा भी पैदा हो जाता है ।
रिसर्चरों ने ५१२४ महिलाओं के आंकड़े खंगाले हैं .इनमे से सभी को पहले २० हफ़्तों के अन्दर क्लीनिकली वेरिफाइड मिस्केरिज होने के साक्ष्यमौजूद हैं .इसके अलावा इसी रजिस्ट्री के एक लार्ज साम्पिल को भी जांचा है जिन्हें मिस्केरिज का सामना नहीं करना पड़ा था ।
ये तमाम रिसर्चर्स मोंत्रीयल यूनिवर्सिटी एवं सीएचयु स्टे -जुस्तिने से सम्बद्ध रहें हैं .रगिस्ट्री (आंकड़े )कुएबेक से ली परखी गई .
पता चला जिन महिलाओं का बच्चा गिरा था उनमे से सभी ने एंटी -डिप्रेसेंट का स्तेमाल किया था .ऐसी २८४ या कुल मिलाकर ५.५ फीसद महिलायें थीं ।
सन्दर्भ -सामिग्री :-एंटी -डिप्रेसेंट रेज़ रिस्क ऑफ़ मिस्केरिज बाई ६८ %.(दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,जून २ ,२०१० )

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