शुक्रवार, 4 जून 2010

मोटापे की छंटाई के लिए पार्क्स और प्रोत्साहन .

यह सृष्टि द्वंद्वात्मक है ,दाय्लेक्तिकल है .एक नर है तो एक मादा भी उसके संगतकहीं है ज़रूर .कोई एक बहुत निर्दय है तो उसके संगत एक बहुत -दयालु (दयावान )भी है .विषमता पसंद नहीं करती यह कायनात ।
फिर भी एक मुल्क है ,जहां के लोग अति -वैभव संपन्न ,अति -पोषण से ग्रस्त बेहद मोटे हैं .ज़ाहिर है एक ऐसा भी मुल्क है जहां शरीर के नाम पर सिर्फ एक हड्डियों का पिंजर हैवासिंदों के पास .कृष -काय हैं यहाँ आबादी का बहुलांश ।
मोटों को सोचना समझना चाहिए यह चर्बी जो उन्होंने चढ़ा ली है यह दुनिया के किसी गरीब देश के बदन से उतारी गई है .रिसर्च होनी चाहिए इन ओबेसियों पर .थुल थुल काय लोगों पर ।
ये क्या इन्हें उलटे मुआवजा दिया जा रहा है अमरीका की दो तिहाई कम्पनियों द्वारा .पेडोमीटर्स दिए जा रहें हैं .जितने कदम यह एक दिन में चलेंगें उसके अनुरूप मुआवजा दिया जाएगा .आर्थिक प्रोत्साहन दिया जाएगा .अधिकतम मुआवज़े की राशि एक साल में ५०० डॉलर्स तक राखी गई है .अब तक अमरीकी कम्पनियां अपने मुलाज़िमों को मोटापे की छंटाई के लिए ३,७७ ,००० डॉलर्स दे चुकीं हैं .चर्बी हठाओ जितनी हो सके ,जैसे भी हो सके .जिम जाओ या कोई कोर्स ज्वाइन करो ।
आई बी एम् ने एक तरह से इस इनाम का मानकीकरण ही कर दिया है .एक १२ सप्ताह का वेब आधारित हेल्थ प्रोग्रेम पूरा करने पर मुलाजिम (एम्प्लोई )को १५० डॉलर दिए जायेंगे .एक प्रोग्रेम के लिए. इसे सम्मान जनक राशि बतलाया जा रहा है ।
अब तक १५ -२० अध्धययन ऐसे प्रोग्रामों के असर का आकलन करने के लिए किये जा चुकें हैं .कितना फर्क पड़ेगा ,कितनी कम होगी मोटापे की राष्ट्रीय बनती समस्या कहना मुश्किल है .यहाँ सिर्फ कयास लगाए जा रहें हैं .कोई यह नहीं देख रहा कितनी निष्ठा के साथ हेल्थ प्रोग्रेम्स हाथ में लेने के बाद कितनी दूर तक नौकरी -पेशा उसे निभा रहें हैं .क्या यह एक कारगर तरीका है ?क्या अति -पोषण का ,जितना खाना उतना ही बर्बाद करना जीवन शैली ,का यह सटीक समाधान है ?
सन्दर्भ -सामिग्री :-बिगेस्ट लूज़र्स विन इन बोर्ड -रूम्स तू ,यूं एस एम्प्लोयार्स आर ऑफरिंग मनी ,वेकेसंस तू वर्कर्स हुशेप अप .(दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,जून ३ ,२०१० )

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