शुक्रवार, 4 जून 2010

ह्यूमैन -एम्ब्रियोनिक स्टेम सेल्स -रासायनिक शोरबे से ...

एनीमल सब्सटेंस के स्तेमाल के बिना ही एक पुष्टिकर रासायनिक माध्यम में कारोलिंसका इन्स्तित्युत ,स्टोकहोम के रिसर्चरों ने 'ह्यूमैन एम्ब्रियोनिक स्टेम सेल्स तैयार कर ली हैं .(नाओ स्टेम सेल्स फ्रॉम केमिकल ब्रोथ,एनीमल सब्सटेंस प्ले नो रोल एज साइंटिस्ट यूज़ ए सिंगिल प्रोटीन फॉर ब्रेकथ्रू ,दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,जून a,२०१० )।
यूरोप के इस अग्रणी संस्थान ने इस शोध के नतीजे जर्नल 'नेचर बायो -टेक्नोलोजी 'में प्रकाशित कियें हैं ।
हम जानते हैं हमारी काया में 'कलमकोशायें 'अन्य कोशाओं में तब्दील होने की क्षमता लिए होतीं हैं .एक -जनम जात सोफ्ट वेयर इनके पास रहता है .अन -दिफ्रेंशियेतिद सेल्स हैं कलम कोशिकाए .कन्सेप्शन के पहले पखवाड़े तक .इसके बाद इनका दिफ्रेंशिये -सन शुरु हो जाता है .दिए सोफ्ट वेयर के अनुसार यह कोशाओं से शुरू कर तमाम अंग -प्रत्यंग तैयार करतीं चलतीं हैं ।
स्टेम सेल टेक्नोलोजी तमाम रोगों की कमर तोड़ सकती है .बीमार कोशाओं का स्थान ले सकतीं हैं 'कलम -कोशायें '
ह्यूमेन स्टेम सेल्स का संवर्धन (कल्चर )एनीमल प्रोटीनों से किया जाता है .इसी प्रक्रिया के दौरानये संदूशित हो जातीं है . इसीलिए इनका संवर्धन मुस्किलात पैदा करता रहा है ।
यूं इनका संवर्धन 'फीडर सेल्स (अन्य किस्म की ह्यूमैन सेल्स )पर भी किया जाता है .लेकिन ये कोशायें किस्म किस्म की अनियंत्रित प्रोटीनों का एक सैलाब ही खड़ा कर देतीं हैं ।
कारोलिंसका संस्थान ने स्टेम सेल्स के संवर्धन के लिए ना तो किसी और प्रकार की ह्यूमैन सेल्स का स्तेमाल किया और ना ही किसी भी किस्म का एनीमल सब्सटेंस इस एवज काम में लिया ।
इस सबसे अलग इनका संवर्धन एकल एम्ब्रियो के मेट्रिक्स पर एक पैट्री -दिश में 'ला जोल्ला इनवीट्रो -फ़र्तीलाइज़ेसन लेब' मे किया गया .पूरा का पूरा परिवेश रासायनिक था .न्यूज़ -मेडिकल. नेट
के अनुसार यह एक केमिकली डिफा -इंद प्रोटीन थी .इसी के साथ एक शुद्ध रासायनिक पुष्टिकर माध्यम में तरह तरह की कोशायें तैयार करने का मार्ग प्रसस्त हुआ .अनेक बीमारियों की काट बनेंगी ये कोशिकाएं ।
हारवर्ड स्टेम सेल इन्स्तित्युत के साथ मिलकर कारोलिंसका संस्थान अब 'ऋ -प्रोग्रेम्द स्टेम सेल्स 'के संवर्धन की दिशा मे चल पड़ा है .इन्हें तिस्यु सेल्स से स्टेम सेल्स मे तब्दील किया गया था ।
रासायनिक रूप से पारिभाषित ह्यूमैन -प्रोटीन 'लामिनिं ५११ हमारे कनेक्तिव तिस्यु का एक हिस्साहोती है .यह वह मेट्रिक्स है जिससे तमाम तरह की कोशायें जुड़जातीं हैं ,अटेच हो जातीं हैं .इस प्रकार तैयार 'एम्ब्रियो मे भी स्टेम सेल्स को स्टेम सेल्स बनाए रखनेके लिए
इस ह्यूमैन प्रोटीन की ज़रुरत बनी रहती है .विकाश के अलग अलग अलग चरणों मे एम्ब्रियो को अलग किस्म के लामिनिं की ज़रुरत पडती है ।
अभी तक जुदा किस्म के लामिनिं रिसर्चरों के पास नहीं थे .इन्हें तिस्युऊज़ से अलग करना ,इनका संवर्धन करना मुमकिन ही नहीं रहा है ।
गत दशकों मे रिसर्चरों ने जीन टेक्नोलोजी की मदद से ह्यूमेनलामिनिं के लिए जीवन इकाइयों (जींस )के क्लोन्स (हम रूप) गढ़ें हैं .भविष्य अनेक संभावनाएं छिपाए है .बहु -रूपा ,बहु -उपयोगी सिद्ध होंगी 'स्टेम सेल्स जिन्हें रासायनिक शोरबे से तैयार किया गया है .

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