बुधवार, 2 जून 2010

वर्ल्ड नो 'टोबेको -डे'पर आधी -दुनिया से दो टूक बात ...

मेरी आदरणीय बहिनों ,बेटियों ,हम उम्र -साथिनो ,एक एक्स क्रोनिक -स्मोकर ,एकसेहत - विज्ञान -की जानकारी आपके संग साझा करता रहा हूँ .मैंने व्यक्तिगत तौर पर सिगरेट के हाथों कई स्तर पर नुकसानी उठाई है .बीस बरस की उम्र में डिग्री -कालिज का प्रवक्ता बनते ही एक फेशन -स्टेमेंट के बतौर हमने धूम्रपान को अंगीकार किया .गाइड के देवानंद साहिब हमारे रोल -मोडिल बने .बात -करते -करते हम ने भी 'इंडिया -किंग्स 'उन्ही की मानिंद प्रदर्शित करने की नाकामयाब कोशिस की .छल्ले भी बनाए .गीत भी गाये -'मैं ज़िन्दगी का साथ निभाता चला गया ,हर फ़िक्र को धुयें में उडाता चला गया .मॉस -साहिब कहते थे -माँ -बाप का पैसा धुयें में उड़ाना अच्छी बात नहीं है ,जब कमाने लगो -मन -मर्जी की करो ।
मौतरमाओं,दोस्तों -मन -मर्जी की ना तब ठीक थी ,ना अब ठीक है .तम्बाखू का बहु -विध सेवन ना t

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