एक अंतर -राष्ट्रीय अध्धय्यन के मुताबिक़ जो बच्चे सप्ताह में तीन या और भी ज्यादा बर्गर चट कर जातें हैं उनके लिए दमा और व्हीज़िंग का जोखिम बढ़ जाता है .सेविंग ग्रेस यही है ,फ्रूट और फिश की हेल्दी खुराक इस नुकसानी से बचाए रह सकती है .(सिद्ध है ,हमारे खान -पान से जुडी है कई बीमारियों की नव्ज़,जीवन शैली रोग जिनमे आम है ।).
संदर्भित व्यापक अध्धययन में जर्मनी ,स्पेन और ब्रितानी रिसर्चरों ने तकरीबन ५०,००० नौनिहालों के खान पान की आदतों का आंकडा आधारित अध्धययन विश्लेसन करने के बाद निष्कर्ष निकालें हैं ,उनअमीर देशों में एस्मा का प्रकोप ज्यादा है,जहां खुराक में कबाड़िया बासा भोजन (जंक -फ़ूड )जगह बना चुका है ।
बेशक मीट-हेवी डाइट(सामिष खुराक ,गोश्त से भरपूर ) के तार सीधे सीधे एस्मा (दमा )से नहीं जुड़ें हैं ,तो भी खुराख में सेंध लगाता बर्गर इतर जीवन शैली रोग की वजह बन सकता है .जो आखिर में एस्मा के खतरे का वजन बढा देतें हैं ।
बर्गर का मतलब 'ओबेसिटी 'भी हो सकता है .दिनचर्या में कसरत का अभाव बर्गर के चलन को और भी खतरनाक बना सकता है .ऐसे में सेहत को चौपट कर सकता है 'बर्गर '।
दूसरी तरफ हेल्दी डाइट ,एक ऐसी खुराख जिसमे एंटी -ओक्सिदेंट्स युक्त गहरे रंग के तमाम फल और तरकारियाँ शामिल हैं ,मच्छी जिसमे ओमेगा ३ पोली -अन -सेच्युरेतिद फेटि एसिड्स का डेरा है के सेहत के लिए फायदे ही फायदे हैं .'एंटी -इन्फ्लेमेत्री गुणों से भरपूर है यह स्वास्थ्य -कर खुराख 'दमा से भी बचाव में कारगर है ।
सन्दर्भ -सामिग्री :-बर्गर्स रेज़ एस्मा रिस्क इन चिल्ड्रन ,सेज स्टडी (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,जून ४ ,२०१० ).
शुक्रवार, 4 जून 2010
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