शनिवार, 5 जून 2010

हादसों की यादों से छुटकारे के लिए ...

अक्सर दुश्चिंताएं आदमी का पीछा नहीं छोड़तीं .बुरी वारदातों की खोफ्नाक यादों से कई बार आदमी उबर नहीं पाताचर्वण करता रहता है अतीत की बुरी यादों का ।
साइंसदान एक ऐसी दवा तैयार कर लेने के करीब हैं ,जो सदमों की यादों को ,खौफनाक अनुभवों को झाड पोंछदिमाग को विचार शून्य बना सुन्न कर अप्रीतिकर यादों से मुक्ति दिला सकती है .जरा सोचिये उन लोगों का क्या होता होगा जो सालों साल अपने प्रिय जन की मृत्यु के बाद उसकी स्मृतियों में अटके रह जातें हैं .एक बड़ी राहत बन सकती है यह दवा ऐसे सभी लोगों के लिए ।
पुएर्तो रिको यूनिवर्सिटी के नेत्रित्व में साइंसदानों की एक अंतर -राष्ट्रीय टीम एक ऐसी दवा तैयार करने की दिशा में कई कदम आगे की और रख चुकी है ,जो दिमाग को सुन्न कर एक और प्रति -क्रिया शून्य बना देगी दूसरी और ना भूलने वाले हादसों की यादों की जगह सुरक्षा की भावना ले लेगी ।
इसेलेबोरेट्री रोड़ेंट्स(क्रिन्तकों ) पर आजमाया जा चुका है .इस एवज साइंसदानों ने एक ऐसे दिमागी रसायन का विनियमन और नियंत्रण किया है जो एक कुदरती रसायन है .तथा दिमागी बे -चैनी और भय से छुटकारा दिलवाता है .कम करता है औत्सुक्य और डरकी भावना को .इन लेबोरेट्री एनिमल्स को एक प्रोटीन 'ब्रेन -दिराइव्द न्युरोत्रोपिक फेक्टर' दी गई .ताकि यह दवाब पैदा करने वाली स्थितयों से दर्द का रिश्ता जोड़ने की प्रक्रिया को दोबारा बूझ सकें .ऋ -लर्न कर सकें ।
एक स्ट्रेस ट्रिगर चूहों में पैदा किया गया .छोटे छोटे बिजली के झटके देने के साथ ही संगत ला -उदम्युज़िक (तेज़ आवाज़(शोर ) पैदा करने वाला संगीत किया गया .अब धीरे धीरे ये चूहे शोर का सम्बन्ध दर्द से जोड़ना सीख गये .शोर पैदा करते ही ये प्रति -क्रिया शून्य होने लगे .इनके दिमाग ने सामान्य तरीके से काम करना बंद कर दिया एक तरह से सुन्न ही हो गया शोर सुन दिमाग .अब ब्रेन -दी -रा -इव्द न्युरोत्रोपिक फेक्टर देने पर दिमाग एक बार फिर से दर्द के एहसास से मुक्त हो एक दम से सामान्य तरीके से फंक्सन करने लगा ।
सन्दर्भ -सामिग्री :-पोप एंड फोरगेट :नाव ए पिल तू गेट रीड ऑफ़ बेड मेमोरीज़ (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,जून ६ ,२०१० ).

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