मंगलवार, 1 जून 2010

पर्सनल स्पेस छोडिये ज़नाब ,फासला रखिये ....

किसी शायर ने बहुत ठीक कहा है -'कोई हाथ भी ना मिलाएगा ,जो गले मिलोगे तपाक से /ये नए मिजाज़ का शहर है ,ज़रा फासले से मिला करो .'अकसर हम भारतीय नैकट्यमें, बेहदकरीबी में, यकीन रखतें हैं .'यहाँ गलती क्या 'कोरी गलती 'ब्लंडर यह होता है ,हम अपने अनजाने ही दूसरे के पर्सनल स्पेस में ज़बरिया तौर पर घुस आतें हैं .सब कुछ जान लेना चाहतें हैं ,अपने पार्टनर या हमजोली ,अपने हम- रहनिया के बारे में ।


माइंड दा गेप :दी हिडिंन हाउलर्स इन वेब एड्रेसिज़ (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मई ३१ ,२०१० )/पृष्ठ १९ पर प्रकाशित खबर को पूरा पढ़िए .नेट की दुनिया में भी यही हो रहा है ।


कुछ वेब साईट एड्रेसिज़ पर गौर करतें हैं ।


'आई लव बिग आल्ज़ 'एक मशहूर रेस्तौरेंट चैन का जोंटी नाम सुझाया गया. वेबसाईट पर आईलवबाईगाल्स .एक और -बानगी देखिये 'सेलेब्रिटी हु रिप्रेज़ेन्ट्स 'बनगया 'वोहरप्रेजेंट्स '
'मोल स्टेशन नर्सरी 'बना 'मोलेस्तेशअननर्सरी 'इसीप्रकार एक इतालियन एनर्जी फ़र्म 'पावर्जेंन 'बनगया 'पावर्जेनेतेलिया' pen - आइसलैंड बना 'पेनिस्लैंड '।
एंडी गेल्द्मन पेशे से एक सोफ्ट वेयर डिज़ाईनर है .आपने एक किताब लिखी है 'स्लुर्ल्स '.स्लर को अर्ल के साथ जोड़कर बना 'स्लार्ल्स '(एस एल यु आर =स्लर ,तथा यु आर एल =अर्ल )स्लर का मतलब है एक ऐसी स्पीच जिसमे धव्नियां अस्पष्ट हो .तथा अर्ल संक्षिप रूप है 'एक वेब साईट एड्रेस -युनिफोर्म -रिसोर्स -लोकेटर 'का .तो ज़नाब वेब की दुनिया हो या असली ज़िन्दगी 'स्पेस ना छोड़ने 'के खामियाजे भुगताने पड़ेंगें .इसलिए 'दूसरे के लिए उसका पर्सनल स्पेस छोडिये .'

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