सोमवार, 23 मई 2011

ये पुत्र वधुएँ (ज़ारी ...)

गतांक से आगे ...
इन पुत्र वधुओं से हमारा निभाव होता रहा तो सिर्फ इसलिए "हम व्यक्तिको उसकी सीमाओं में जीते हैं उसकी संभावनाओं में नहीं .उसकी "इज -नेस "में जीतें हैं ।"शुडबी में नहीं ".
उन दिनों हमारे मुंह पर एक शब्द चढ़ा हुआ था -"लल्लू लाल "जिसपे प्यार आता था हम कह दते थे लल्लू लाल.
बड़ा प्यारा प्यारा सा था "नन्ने "इसीलिए हम उसे कह देते थे -"लल्लू लाल "पता चला हम ऐसा नहीं कर सकते उनके लडके का नाम बिगड़ जाएगा .हालाकि वह हमारा तो प्रपोत्र था ,लडके का लडका था ।
गोपिकाओं ने उद्धव जी से पूछा था यह प्रश्न -"उधौ कौन देश को वासी "आज हम भी यही शाश्वत प्रश्न पूछ्तें हैं -ये पुत्र वधुएँ क्या भौमेतर हैं ,एलियंस हैं ?
इन्हें जीवन के सूक्ष्म तत्वों तत्वों का बोध ही नहीं है .कोगनिटिव देफिशित से ग्रस्त हैं यह .?

4 टिप्‍पणियां:

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

सावधान! स्त्री सशक्तीकरण वाले घूम रहे हैं :)

Sunil Kumar ने कहा…

मान गए हिम्मत आपकी नारी वादी संथाएं तलवार ले कर आपके पीछे पड़ जाएगी हम कुछ नहीं कर पाएंगे सावधान

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " ने कहा…

क्या हुआ भाई ?

Sawai Singh Rajpurohit ने कहा…

उम्दा प्रस्तुती!