रविवार, 15 मई 2011

स्ट्रोक से पैदा मुसीबतें (ज़ारी ...)

गत पोस्ट से आगे ...
सेन्ट्रल पैन सिंड्रोम या सेंट्रल स्ट्रोक पैन जिसकी चर्चा हमने गत पोस्ट में की थी अपने ही किस्म का दर्द है जिसका एहसास किसी भुग्त-भोगी को ही होगा जो स्ट्रोक भुगता चुका है ।यह कहावत इसपे सही लागू होगी -जाके पैर न फटी बिवाई ,वो क्या जाने पीर पराई .
यह दर्द बेहद गर्मी और बेहद ठंडी ,जलन ,जैसे शरीर अपर हज़ारों हजार चींटियाँ रेंग रहीं हों ,जैसे किसी ने छुरी ही घोंप दी हो ,शार्प स्तेबिंग एंड अंडर -लाइंगएकिंग पैन का एक मिला जुला मारक अनुभव है ।
अकसर हाथ पैरों के छोरों को अपना निशाना बनाता है यह दर्द ,किसी भी प्रकार की गति या फिर तापमान बदल इसे और भी वेदना -कारक बना देता है .खासकर धुर निम्न तापमानों पर कडाके दार योरोप की ठंड में यहऔर भी असहनीय हो जाता है .
क्योंकि तकरीबन सभी दर्द नाशी इस ख़ास किस्म की पीड़ा में नाम मात्र ही राहत पहुंचा पातें हैं इसीलिए इसके समाधान के लिए ट्रीट -मेंट्स और थिरेपीज़ भी गिनतीकी हैं ऐसा विरल है अपने मिजाज़ में यह दर्द (सेन्ट्रल पैन सिंड्रोम या सेंट्रल स्ट्रोक पैन )।
(ज़ारी ...)।
गत पोस्ट में हम आपको शैर नहीं पढवा सके थे ,पोस्ट को बीच में ही छोड़ कहीं जाना पड़ गयाथा इसलिए इस मर्तबा दो शैर सुनिए .
एक गुड़िया की कई कठपुतलियों में जान है ,
आज शायर ये तमाशा देख कर हैरान है ।
कल नुमायश में मिला वो चीथड़े पहने हुए ,
मैं ने पूछा नाम तो बोला के हिन्दुस्तान है .

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