जैक विंकलर (लन्दन मेट्रो -पोलिटन यूनिवर्सिटी ) ने हाल ही में बतलाया है ,जो भावी -माताएं हफ्ते में एक बार मच्छी (टू पोर्शंस इन ए वीक के हिसाब से )का सेवन गर्भावस्था के दौरान करतीं रहतीं हैं ,उनके गर्भस्थ शिशु के लिए 'ब्रेन -डिस-ओडार्स'यानी दिमागी विकारों (मानसिक रोगों )के खतरे का वजन कमतर रह जाता है ।
जो गर्भ -वती महिलायें इससे ज्यादा मात्रा में(मछली यानी फिश )का सेवन इस दरमियान करतीं हैं ,उन्हें किसी परेशानी से दो चार नहीं होना पड़ता है ,उनके शिशु का दिमाग और करने लगता है .करने लगता है . ।
सन्दर्भ -सामिग्री :-हिंदुस्तान टाइम्स /एच टी एज /सोर्ट स्टोरीज़ /पेज ०६ /जून १ ,२०१०
मंगलवार, 1 जून 2010
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