जर्मन साइंस दानों ने एक ऐसा हारमोन -स्प्रे तैयार कर लिया है जिसे सुंघाने के बाद मर्द औरों के दुःख दर्द का भागी दार और उपभोक्ता महिलाओं की तरह बन सकता है .औरों के सुख दुःख से भाव तादात्मय कर लेता है .प्रगाढ़ तदानुभूति महसूस करने लगता है .इस अध्धययन के अगुवा जर्मनी के बोन -विश्व -विद्यालय के डोक्टर रेने हुर्लेमन्न रहें हैं ।
इस हारमोन का नाम है ओक्स्य -तोसिंन .परानुभूति /तदानुभूति यही कराता है .इसी अन्त्य -स्रावी हारमोन की वजह से माँ का गर्भस्थ शिशु से बे-इंतहा लगाव हो जाता है ।
कडल-हारमोन यही है जो सेक्स्युअल अट्रेक्शन और सेक्स सुखानुभूति की भी वजह बनता है .फीमेल-रिप्रोडक्शन में इसकी अलग भूमिका रहती है ।
अपने अध्धययन में साइंसदानों ने २४ मर्दों को ओक्सी -तोसिंन स्प्रे से असरग्रस्त किया जबकि इतने और मर्दों को सिर्फ मीठी गोली (प्लेसिबो )दिया गया .अब सभी सब्जेक्ट्स को हार्ट रेंचिंग (दिल को ठेस पहुंचाने वाले )चित्र दिखलाए गए .इनमे एक तस्वीर में एक नन्नी बालिका की आँख डबडबाई हुईं थीं अश्रु -पूरित थीं .एक व्यक्ति को गमजदा दिखलाई गया था .तथा एक बालक एक बिल्ली को गले लगाए हुए था प्यार से .
दोनों समूहों की प्रतिकिर्या दर्ज़ करने पर पता चला ,स्प्रे -मेंन को प्रगाढ़ तदानुभूति हुई थी वह अपेक्षाकृत ज्यादा सुख -दुःख की अनुभूति से गुजरे थे .दुसरे की पीड़ा भाव जगत का उनकी अनुभूति उनके प्रति अपनी भावनाओं का आरोपण सान्द्र था .यानी इमोशनल इम्पेथी का सूत्र धार यही 'हारोंन स्प्रे 'था जिसका बुनियादी हारमोन ओक्सी -तोसिं था ।
अब तक औरतों को मर्दों से यही शिकायत रहती थी ,ये बिलकुल नहीं समझ पाते औरों पर क्या बीत रही है .अब उनकी भावनाओं का साझा ,भाव तादात्मय यही स्प्रे करवा सकता है ।
सन्दर्भ -सामिग्री :-'कडल हारमोन 'स्प्रे विल मेक मेन सेंसिटिव (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मे १ ,२०१० )
शनिवार, 1 मई 2010
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