आइन्स्टाइन के सापेक्षवाद के दो हिस्से हैं -एक विशेष सापेक्षवाद ओर दूसरा गुरुत्व सम्बन्धी सापेक्षवाद यानी जनरल थियेरी ऑफ़ रिलेटिविटी ।
बाद के सिद्धांत की अनेक अवधारणाओं ओर प्रागुक्तियों (प्रिदिक्संस )की पुष्टि हो चुकी है .लेकिन गुरुत्वीय तरंगों का अस्तित्व अभी अबूझ ही बना हुआ है किसी की पकड़ में नहीं आसकीं है यह तरंगें ।
अब अमरीकी अन्तरिक्ष संस्था 'नासा 'ओर यूरोपीय स्पेस एजेंसी संयुक्त रूप से ऐसे तीन अन्तरिक्ष यान सन- सिंक्रोनस ओर्बित में स्थापित करने जा रही हैं जो सूरज की परिक्रमा करते हुए एक ख़ास फोर्मेसन बनाए रहेंगें .इनमे गोल्ड -प्लेटिनम क्यूब्स तैरतीं रहेंगी .परस्पर यह ५०,०००,०० किलोमीटर दूरी बनाए रहेंगें .एक दूसरे की अन्तरिक्ष में अवस्थिति का जायजा लेने के लिए यह लेज़र बीम का स्तेमाल करंगें ।
इस आकलन में '४० मिलियंथ ऑफ़ ए मिलियंथ ऑफ़ ए मीटर की परिशुद्धता रहेगी .यानी एक मीटर के दस लाखवें के दस लाखवें के चालीसवें भाग तक की परिशुद्धता तक आकाश काल में इन की परस्पर अवस्थिति का रिकार्ड रखा जा सकेगा ।
यक़ीनन इतनी परिशुद्धता होने पर गोल्ड -प्लेटिनम क्यूब्स के बीच की परस्पर दूरी में पैदा अल्पांश में आये बदलाव को भी जाना जा सकेगा .इस बदलाव की वजह आइन्स्टाइन द्वारा प्रस्तावित गुरुत्वीय तरंगें बनेंगी ।
गुरुत्वीय तरंगें क्या हैं ?
जब ब्लेक होल्स जैसे भीमकाय पिंड अन्तरिक्ष में परस्पर टकरातें हैं तब अन्तरिक्ष काल में छोटी छोटी उर्मियाँ (रिपिल्स इन स्पेस एंड टाइम ) स्रोत से निकल कर आगे ओर सिर्फ आगे की ओर (बाहर की ओर )प्रकाश के वेग से बढ़तीं हैं ।यही कमज़ोर उर्मियाँ 'ग्रेविटेशनल वेव्स 'कहलातीं हैं .
गुरुत्वीय तरंगों के एक माहिर प्रोफ़ेसर जिम हौघ (ग्लासगो विश्व -विद्यालय से सम्बद्ध )कहतें हैं -आइन्स्टाइन के गुरुत्व सम्बन्धी सापेक्षवाद की आखिरी कड़ी के रूप में अभी गुरुत्वीय तरंगों की पुष्टि होनी बाकी है .उन्हीं के शब्दों में -'दे आर प्रोदयुस्द वेन मेसिव ओब्जेक्ट्स लाइक 'ब्लेक होल्स 'ऑर कोलेप्स्द स्टार्स एक्सलारेट इन स्पेस ,पर्हेप्स बिकॉज़ दे बींग पुल्ड टुवर्ड्स एनादर ओब्जेक्त विद ग्रेटर ग्रेविटेशनल पुल लाइक ए मेसिव ब्लेक होल .
यानी जब अन्तरिक्ष के अनंत विस्तार में ब्लेक होल जैसे भारी भरकम पिंड या फिर अपनी जीवन लीला भुगता कर खुद प़र ही ढेर होतेसितारे (कोलेप्स्द स्टार्स )अन्तरिक्ष में त्वरित होतें हैं (तेजी से जब इनके वेग में प्रति सेकिंड लगातार वृद्धि दर्ज होती है ) तब गुरुत्वीय तरंगें पैदा होतीं हैं .यह त्वरण आपसे आप नहीं हो रहा है संभवतय कोई एक और भारी भरकम ब्लेक- होल इन्हें (उक्त ब्लेक होल्स या कोलेप्स्द स्टार्स )को अपने अति विशाल गुरुत्व की डोर से अपनी ओर खींच रहा होता है ।
बेहद कमज़ोर होने की वजह से गुरुत्वीय तरंगें आदिनांक किसी उपकरण की पकड़ में नहीं आ सकीं हैं .संदर्भित अन्तरिक्ष यानों से बहुत उम्मीन्दें हैं ।
सन्दर्भ -सामिग्री :-स्पेस क्राफ्ट तू टेस्ट आइन्स्ताइन्स रिलेटिविटी थियेरी (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मे११ ,२०१० )
बुधवार, 12 मई 2010
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें