एक भारतीय मूल के अमरीकी साइंसदान ने मृत्यु -शैया तक पहुँचते लोगों की ब्रेन वेव्स का अध्धय्यन किया है .आप जार्ज वाशिंगटन यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर ,वाशिंगटन में 'एनस -थिज़ियोलोजिस्त "चेतना -हारी -विज्ञान 'के माहिर हैं .आपके अनुसार 'नियर -डेथ -एपिसोड्स 'का एक शरीर -क्रिया -वैज्ञानिक (फिजियोलोजिकल )आधार है .आपने ५० से ज्यादा मर्तबा ऐसे एपिसोड्स का अध्धययन और खुलासा किया है .पेलियेतिव -मेडिसन विज्ञान पत्र
में आपका सारा काम प्रकाशित हुआ है ।
बकौल आपके मृत्यु के विधाई क्षण से ठीक पहले दिमाग ओक्सिजन की बढती कमी के संग ही विशाल विद्युत् राशि(ए ह्यूज सर्ज ऑफ़ इलेक्त्रिसिती )का स्राव करने लगता है .एक तरफ रक्त संचरण घटने लगता है दूसरी तरफ ओक्सिजन का स्तर ,इसी के साथ दिमागके न्युरोंस (दिमागी कोशायें ) एक आखिरी 'इलेक्ट्रिकल -इम्पल्ज़ 'फायर करतीं हैं .जैसे जीवन ज्योति बुझने के पूर्व की आखिरी चमक हो ,चेतावनी हो यह विद्युत् -स्राव ।
दिमाग के एक हिस्से से शुरू हुआ यह स्राव जल्दी ही एक विद्युत् धार के रूप में बाकी हिस्सों को भी अपनी जद में ले लेता है .यही लब्बो -लुआब है निष् -चेतक -विद लखमीर चावला के संदर्भित अध्धययन का ।
सन्दर्भ -सामिग्री :-आफ्टर लाइफ एपिसोड आर जस्ट ए ब्रेन -ट्रिक ?(दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मे ३१ ,२०१० ,कवर पेज )
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