रविवार, 30 मई 2010

टाइम डाय-लेसन क्या है ?

टाइम डाय -लेसन ,टाइम डाय -लेतेसन :'ईट इज दी प्रिन्सिपिल देट टाइम इलेप्स्द इज रिलेटिव तू मोसन ,सो देट टाइम पासिज़ मोर स्लोली फॉर ए सिस्टम इन मोसन देन फॉर वन अत रेस्ट रिलेटिव तू एन आउट -साइड ऑब्ज़र्वर ।'
टाइम डाय -लेसन की चर्चा आइन्स्टाइन महोदय ने अपने 'विशेष सापेक्षवाद सिद्धांत 'के तहत विस्तार से की है ।
समय -विस्तार ,समय -फैलाव अलबत्ता दर्ज़ तभी होगा जब दो प्रेक्षकों के बीच गति भी 'सापेक्षिक हो ,रिलेटिव -स्टिक हो यानी इतनी ज्यादा हो जिसकी तुलना प्रकाश की अपनी निर्वातीय गति से की जा सके .'आम जीवन में हमारा सामना ऐसी सापेक्षिक गति से नहीं होता .हमारी उड़ान गति सीमा सीमित है प्रकाश की तकरीबन तीन लाख किलोमीटर प्रति सेकिंड की गति के .,तुल्य नगण्य ।
टाइम डाय -लेसन को समझने के लिए द्रव्य के बुनियादी कणों की चाल की ओर देखना विचारना होगा .लार्ज हेद्रोनकोलाइदर प्रोटानों ,एंटी -प्रोटानों को ऐसी सापेक्षिक गति दे सकता है ।
अलबत्ता हम और आप 'आइन्स्टाइन -ट्रेन 'आइन्स्ताइनीयन ट्रेन में सवार हो सकतें हैं (मान लीजिये बैठ गएँ हैं ).रिलेतिव्स्तिक स्पीड से दौडती है आइन्स्टाइन की रेल ।
मैं आपको सी ऑफ़ करके लौट आता हूँ .जिस समय हम विदा हुए ,जुदा हुए हमारी घड़ियों में एक ही वक्त था .अवर वाचिज़ वर शोइंग दी सेम टाइम .यानी सिन्क्रोनाइज़्द थीं हमारी घड़ियाँ ।
जब तक आप लौट कर आयेंगे दुनिया की सैर करके आप जस के तस जवान बने रहेंगे .मेरे अलावा मेरी कई पीढियां गुजर चुकी होंगी .ए रनिंग क्लोक लूज़िज़ टाइम .आपके लियें समय बीता ही कहाँ था .घड़ी की सुइंयाँ थम गईं थीं ।
मैं शरीर छोड़ चुका था ,मेरी कई पीढियां भी .टाइम डाय -लेसन एक सापेक्षिक घटना है .समय का प्रवाह कम ज्यादा नहीं होता है .समय का चक्र यकसां चलता है .मेरीघडीकी तुलना में आपकी घड़ी गति शील थी ।
आपकी घड़ी आपकी तुलना में विराम में थी .मेरी तुलना में गति शील ।
जब आप लौट रहे थे मेरी जानिब आप को आपकी घडी को एक बाहरी प्रेक्षक ,एक टाइम कीपर डिवाइस देख रही थी .टाइम डाय -लेसन उसके लिए काल्पनिक नहीं था .आपकी घडी उसके लिए स्लो -चल रही थी ।
मेज़ोनिक क्लोक के लिए टाइम डाय -लेसन काल्पनिक नहीं है .कोस्मिक रेज़ जब हमारे वायुमंडल में दाखिल होतीं हैं ,तबउनके बहुलांश प्रोटानों की वायुमंडल के अनु -परमाणुओं से आपस में टक्कर से म्यु -मिजोंस पैदा होतें हैं .यह अति अल्प कालिक कण हैं .इनकी जीवन लीला पृथ्वी तक पहुँचने से पहले समाप्त हो जानी चाहिए थी .लेकिन समुन्दर के किनारे लेब में ये कण बराबर एक काउंटर में दस्तक देतें हैं .इनका अपना लोकल टाइम है .इनके लिए समय आहिस्ता आहिस्ता बीत रहा है .मेजोंनो की चाल रिलेतिव्स्तिक जो है .प्रकाश की चाल से इसकी तुलना की जा सकती है .लेब की घडी के लिए इन्हें रास्तें में ही अपनी अल्प -जीवन अवधि के अनुरूप नष्ट हो जाना चाहिए था .लेकिन यह तो बराबर आ रहें हैं समुन्दर के स्तर पर स्थापित लेब में .टाइम -डाय -लेट जो हो गया .फ़ैल गया .इस विस्तारित समय में ही ये लेब में चले आये .

कोई टिप्पणी नहीं: