खेत खलियानों की ओर निकलने से सिर्फ आँखों को ही सुकून नहीं मिलता दिमाग को भी सुख की अनुभूति होती है .दरअसल पग डंडी की धूल में एक बेक्टीरिया 'माइकोबेक्तीरियम वक्के 'का डेरा है .धूल में उड़कर यही जीवाणु पहले हमारे फेफड़ों और फिर दिमाग में जगह बनाता है .फलस्वरूप दिमाग एक न्यूरो -ट्रांस -मीटर (एक जैव -रसायन )'सिरोतोनिंन 'बनाने लगत है .यह बायो केमिकल दिमाग को शार्प यानी तेजतर्रार बनाता है .सोचने समझने की ताकत को बढाता है .इसलिए चंद लम्हे काम से बाहर निकालिए -गाँव की ख़ाक छानिये .यही उस ताज़ा तरीन शोध का सन्देश है जिसे सेज कालिज़िज़ के रिसर्चरों ने आगे बढाया है ।
सन्दर्भ -सामिग्री :-स्ट्रोल इन कंट्री -साइड शार्पिन्स दी माइंड (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया मे २६ ,२०१० ).
गुरुवार, 27 मई 2010
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