आखिर हम मरण -शील क्यों हैं ?क्यों होती है पहले एजिंग और फिर मृत्यु ?क्या हम यूं ही 'मोर्टल 'ही बने रहेंगें ?
संभवतय 'ब्रुक ग्रीनबर्ग 'से कुछ अता पता मिले .आखिर क्यों बुढातेंहैं हम लोग ।
साइंसदानों के लिए कल तक यह सत्रह साला तोड्लर एक अजूबा एक मेडिकल -ओदिती थी जिसकी उम्र और कदकाठी में कोई सामंजस्य नहीं है .इसका वजन मात्र ७ किलोग्रेम -वेट और हाईट ढाई फीट (३० इंच )मात्र है ।
अगले बरस यह कार चलाने लायक हो जायेगी .मतदान में भी शिरकत कर सकेगी ।
इसकी बढवार(ग्रोथ )के थम जाने की वजह क्या दोषपूर्ण जींस (जीवन खंड )हैं ?
इसके 'डी .एन .ए .अध्धययन से ऐसे ही संकेत मिल रहें हैं .इस तथ्य की पुष्टि हो जाने पर साइंसदान ना सिर्फ बुढ़ाने की प्रकिर्या ,बुढापे के रोगों पर भी थोड़ी और समझ विकसित कर सकेंगे ।
इलाज़ भी हाथ लग सकता है फिल- वक्त लाइलाज बने बुढापे के रोगों का .साउथ फ्लोरिडा विश्व -विद्यालय में प्रोफ़ेसर के पद पर कार्य -रत रिचर्ड वालकर कहतें हैं इसकी स्तन्तिद ग्रोथ की वजह कुछ जीवन इकाइयों (जींस )में होने वाले म्यूटेशन (उत्परिवर्तन )हो सकतें हैं .बहर -सूरत इसका जीन -क्रम(जीन सिक्वेंसिंग )की जा रही है .ज्यादा रौशनी इन सवालों पर यह काम संपन्न हो जाने पर ही पड़ सकती है .
उन्हीं के शब्दों में "शी अपीयर्स तू बी फ्रोज़ीं इन टाइम "।
काश हम इसके जीनोम -सीक्क्युवेंस की तुलना इन्हीं जींस की सामन्य कोपी से कर पाते .,जो म्युतेत कर गएँ हैं .तभी यह भेद खुलेगा ,आखिर ये जीवन खंड करते क्या क्या हैं ।
बाहर से देखने पर यही लगता है 'शी हेज़ बीन ए तोड्लर फॉर सेविन्तीन ईयर्स .परिवार के लोग इसकी नेपि चेंज करते रहें हैं .शिशु की तरह इसे दुलारते रहें हैं .लोरी दे कर सुलाते रहें हैं ।
यूं गिगलिंग (गुलगुली करने पर ,गुदगुदाने पर )ब्रुक ग्रीन बर्ग थोड़ा मुस्कुराती भी है ,घुटनों चलती है लेकिन आदिनांक इसे बोलना नहीं आता .दूध के दांत नहीं गिरे हैं अब तक ब्रुक के ।
लेकिन ब्रुक आधुनिक प्राण लेवा रोगों से दो चार होती रही है .स्ट्रोक्स ,शीज़र्स ,अल्सर्स ,ब्रीडिंग- दिफिकल्तीज़ का सामना करना पड़ा है ब्रुक को .ऐसा प्रतीत होता है यह बाल -सदृशय किशोरी बिना ग्रोथ के (शारीरिक वृद्धि )के बुढा रही है .शरीर शिशुवत उम्र किशोरी की ।
वाकर के मुताबिक़ ब्रुक के कुछ अंग बुढाए ज़रूर हैं लेकिन बुढ़ाने की दर इन अंगों की यकसां नहीं रही है .रिसर्च इसी ओर इशारा कर रही है .वाकर कहतें हैं -हमारी अवधारणा है ,परिकल्पना है ,ब्रुक' जीन' या कुछ' जींस- समूह' की नुकसानी उठाती रही है .डेमेज हुएं हैं कुछ जीवन खंड या फिर जीवन इकाइयां ब्रुक की ।
उन्हीं के शब्दों में -' इफ वी केन यूज़ हर डी .एन .ए .तू फाइंड देट म्युटेंट जीन देन वी केन टेस्ट इट इन लेब एनिमल्स तू सी इफ वी केन स्विच इट ऑफ़ एंड स्लो डाउन एजिंग प्रोसिस एत विल .इट कुड गिव अस एन अपोर्च्युनिती तू आंसर दी क्वेश्चन ऑफ़ वाई वी आर मोर्टल '।
सन्दर्भ -सामिग्री :-गर्ल फ्रोज़िन इन टाइम मे होल्ड 'की' तू एजिंग .फाल्टी जीन कुड एक्सप्लेन वाई दी टीन स्टील हेज़ बॉडी एंड बिहेवियर ऑफ़ ए वन ईयर ओल्ड :साइंटिस्ट (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मे १० ,२०१० )
सोमवार, 10 मई 2010
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