'वायोलेंट वीडियो गेम्स आर लर्निंग टूल्स 'टाइम्स ऑफ़ इंडिया २९ मई अंक में प्रकाशित ध्यान खींचता है .क्योंकि इसका सम्बन्ध हमारे नौनिहालों में अत्यंत लोक -प्रिय होते 'वायोलेंट वीडियो गेम्स से है .रपट आपको चौंका सकती है .बीनाई के लिए अच्छे दिमाग के फंक्शन के लिए बेहतर बतलाती है यह रिपोर्ट हिंसा से भरे वीडियो गेम्स को .भले ही यह वर्च्युअल वर्ल्ड की हिंसा है ।
रिसर्च की यह रिपोर्ट न्यू -योर्क विश्व -विद्यालय की एक कोंफ्रेंस में 'गेम्स एज लर्निंग टूल 'से ताल्लुक रखती है .सम्मलेन में रोचेस्टर विश्व -विद्यालय के एक साइंसदान ने बतलाया -'जो लोग इन तेज़ रफ़्तार खेलों में मशगूल रहतें हैं ना सिर्फ उनकी बीनाई (विज़न )बढ़ जाती है ,अँधेरे में भी यह लोग निशाना साध सकतें हैं ,कनकी आँख से यह बेहतर देखने लगते हैं .इनका पेरी -फरल -विज़न बढ़ जाता है ,ज्यादा ध्यान केन्द्रित कर सकतें हैं यह लोग सोचने समझने की ताकत (संज्ञान ,कोग्नीशन )में भी इजाफा होता है ।
दिन भर ज़ारी इस सेमीनार में 'कंप्यूटर गेम्स और वीडियो गेम्स 'पर एक शैक्षिक औज़ार ,एक एजुकेशनल ऐड के रूप में खुल कर विमर्श हुआ ।
लगता है इन्हें क्लास रूप में एक वैधानिक और सम्मान जनक स्थान मिलने जा रहा है .सभा में 'स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ़ न्यू -योर्क ,अल्बानी ,के साइंसदान सिगमंड तोबिअस ने इजराइली वायु -सेना द्वारा संपन्न उस अध्धयन का हवाला दिया जिसमे 'स्टडी 'के अंत में उन छात्रों को पायलट ट्रेनिंग में ज्यादा दक्ष पाया गया जिन्होंने 'स्पेस फोर्ट्रेस 'नाम का खेल खूब खेला था .'प्रो -सोसल गेम्स खेलने वालों को वास्तविक जीवन में लोगों की मदद करते देखा गया ।
किल और गेट किल्ड नामक खेल खेलने वालों के पेरिफरल विज़न में सुधार देखने को मिला ये लोग सांझ ढले गो -धूलि की बेला में भी चीज़ों को साफ़ साफ़ देख लेते थे ।
इन खेलों का स्तेमाल आँख के एक रोग 'अम्ब्ल्योपिया '(लेजी आई )के इलाज़ में भी किया जा सकेगा .इसमें एक आँख धुंधला देखने लगती है .मेथ्स में बेहतर परफोर्मेंस के लिए भी कुछ खेलों को आजमाया जा सकता है .
शनिवार, 29 मई 2010
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें