ग्रे मेटरमें सिक्डावलाता है शरीर से अतिरिक्त पसीना बहना .ग्रे -मैटर के कोंत्रेक्त होने पर दिमाग भी ठीक से सोच समझ नहीं पाताहै .एक अभिनव रिसर्च का यही लब्बोलुआब है जिसमे किशोर -किशोरियों को डेढ़ घंटा साइकिल चलाने को कहा गया .कुछ को बिन -लाइनर ,कुछ को हुडिद,कुछ को ट्रेक शूटपहनाये .अन्यों को टीजऔर हाफ पेंट्स .पता चला जिनके शारीर से इस दरमियान दो पोंड पसीना बह गया उनका दिमाग सिकुड़ गया .यह कोंत्रेक्षण उतना ही था जितना एल्ज़ाइमर्स के मरीज़ में ढाई महीने में देखने को मिलता है .या फिर १४ माह बुढ़ानेसे ताल्लुक रखने वाली विअर और टीअरमें होता है .गनीमत यही है एक दो ग्लास शीतल जल लेने पर दिमाग सामान्यस्थिति में लौट आता है ।ग्रे -मैटर पर पड़ने वाला अतिरिक्त दवाब समाप्त हो जाता है .
रहीम दास ने ऐसे ही नहीं कहा था -'रहिमन पानी राखिये ,बिन पानी सब सून ,पानी गए ना ऊबरे ,मोती मानुष ,चून'तो ज़नाब जल ही जीवन है । जीवन में पानी राखिये आँख का भी .बेनूर बदमजा है ज़िन्दगी है ,बे -आब ज़िन्दगी .
शुक्रवार, 21 मई 2010
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