आचार्य रजनीश कहतें हैं गर्भस्थ नौ माह तक गर्भ नाल द्वारा माँ के ही शरीर से जुडा रहता है .एक ट्विन -बायलोजिकल सिस्टम बन जाता है ,माँ और अजन्मेगर्भस्थ शिशु का .जुड़ाव की यही वजह बनता है ।
साइंसदान इसका कारण 'कडल- हारमोन 'को बतलातें हैं जो दुग्ध पान कराने वाली माँ के शरीर में बहुतायत में पाया जाता है .लाड दुलार चाव पुचकार औरआलिंगन की वजह यही हारमोन बनता है ।
मौंट सिनई मेडिकल सेंटर ,न्युयोर्क के साइंसदान इस बेहद के लगाव की वजह एक औरहारमोन 'ऑक्सीटोसिन 'को बतलातें हैं जिसका औरत के शरीर में और भी ज्यादा उत्पादन होता है ।
ऑक्सीटोसिन ना सिर्फ प्रसव पूर्व लेबर में मदद- गार है ,दुग्ध ग्रंथियों को भी उत्तेजन प्रदान कर एड लगाता है ।
जो महिलायें माँ बनने को उत्सुकहैं और जिन्हें यह गौरव हाल फिलाल ही मिला है उनके लिए एहम रोल है 'ऑक्सीटोसिन 'का .चाइल्ड -मदर बोन्डिंग का सूत्रधार है 'ऑक्सीटोसिन '।
सन्दर्भ -सामिग्री :-वाई किड्स बोंड मोर विद मोम्स (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,में ११ ,२०१० )
बुधवार, 12 मई 2010
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