रविवार, 30 मई 2010

आत्मा -फिजिक्स के नज़रिए से ..........

'फिजिक्स इज दी स्टडी ऑफ़ एनर्जी एंड मैटर एंड इट्स म्युच्युअल इन्तेरेक्संस '
पदार्थ और ऊर्जा का विज्ञान है -भौतिकी .पदार्थ और ऊर्जा एक ही सिक्के के दो पहलू हैं .अद्वैत है द्वैत का .एक ही भौतिक राशि है -'पदार्थ -ऊर्जा '।
ऊर्जा का किसी बिन्दु के गिर्द ज़माव ,कन्सेंत्रेसन ऑफ़ एनर्जी 'पदार्थ -ऊर्जा 'का पदार्थ के रूप में गोचर प्रगटीकरण है .पदार्थ -ऊर्जा का विरलीकृत रूप अगोचर ऊर्जा है ,एनर्जी है ।
आत्मा सचेतन ऊर्जा ही है .कोंशश एनर्जी है सोल ।
हाड ज़रेज्यों लाकडी ,केश ज़रें ज्यों घास ,सब जग जरता (जलता )देख कर ,कबीरा भया उदास ।
इंसान मर कर भी मरता कहाँहै ? गोचर पदार्थ से अगोचर -ऊर्जा की ओर प्रस्थान है -मृत्यु .रूपांतरण है पदार्थ का दृश्य जगत से अदृशय की ओर.आत्माओं का भी कन्ज़र्वेसन होता है .इज्नेस बरकरार रहती है .होना नहीं जाता आत्मा का ।
सुपर हेवी एलिमेंट्स सृष्टि के आरम्भ में भी थे । दिके हो गए ,दिस -इन्टीग्रेट हो गए ,रेडियो -एक्टिव थे .ऊर्जा में तब्दील हो गए .एक बार फिर पल्लवित होंगे अनुकूलतम परिस्थति होने पर .सुपर -हेवी -एलेमेंट्स भविष्य के गर्भ में हैं .आदिनांक ११८ तत्व मिलें हैं .हैं ओर भी ,फिर प्रगट होंगे .यही सार है ,होने ना होने का .मिलने बिछुड़ने का ।
कागा सब तन खाइयो ,चुन चुन खाइयो मांस ,दो नैना मत खाइयो ,पीव मिलन की आस .

कोई टिप्पणी नहीं: