यकीन मानिए सिर्फ तीन सिगरेट्स का रोजाना दीर्घावधि सेवन आपके जींस की सीक्युवेंसिंग बदल सकता है ,उत्परिवर्तन पैदाकर सकता है ,खानदानी विरासत को मटियामेट कर सकता है ।
अमरीकी रिसर्चरों ने पता लगाया है ,जो लोग चैन -स्मोकर्स बन जाते हैं ,२५ से ज्यादा सिगरेट्स रोजाना फूंक देतें हैं और आखिर -कार 'लंग -कैंसर 'का शिकार हो जातें हैं ,उनके हज़ारों जींस मयुतेट कर जातें हैं ,उत्परिवर्तित हो जातें हैं ।
केलिफोर्निया स्थित 'रोशेस बायो -टेक्नोलोजी यूनिट जेनेंतेक 'के रिसर्चरों ने उक्त नतीजेलंग -ट्यूमर ग्रस्त एक मरीज़ के ट्यूमर के सभी जींस की तुलना एक स्वस्थ व्यक्ति के तमाम जींस (जीवन -इकाइयों )से करने के बाद ही निकालें हैं .लंग कैंसर से ग्रस्त हुआ यह ५१ वर्षीय मरीज़ गत १५ वर्षों से रोजाना २५ से भीज्यादा सिगरेट्स फूंक डालता था .ट्यूमर काट कर निकालने पर तमाम जीवन खण्डों की व्यापक जांच से उक्त तथ्य पुष्ट हुआ है ।
तकरीबन ५०,००० म्युतेसंस दर्ज़ किये गए .विज्ञान पत्रिका 'नेचर 'में इस स्टडी के नतीजे प्रकाशित हुए हैं ।
हम जानते है 'लंग -कैंसर 'की एक एहम वजह धूम्र -पान बना रहा है .पी गई हरेक सिगरेट म्युतेसन की वजह बनती है यही कहना है माहिरों का .पता चला है तीन सिगरेट्स का रोजाना सेवन एक 'म्युतेसन "की वजह बन जाता है .और यह उत्परिवर्तनउस मेकेनिज्म को धता बता कर तब होता है जबकि जींस की टूट -फूट ,नुकसानी की दुरुस्ती के लिए हम सभी के पास एक तंत्र मौजूद है .जो स्मोकिंग से पैदा नुक्सान की भी भरपाई करने में समर्थ है .ज़ाहिर है कालान्तर में स्मोकिंग इस तंत्र की धार को भोथरा बना देती है ।
याद रखिये स्मोकिंग की लत पहली सिगरेट के साथ ही लग जाती है .जीनोम की सलामती के लिए स्मोकिंग को मुल्तवी रखिये .बचाव में ही बचाव है ।
सन्दर्भ -सामिग्री :-म्युतेंत जींस इन स्मोकर्स ता -ईद तू कैंसर (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मे २८ ,२०१०)
शुक्रवार, 28 मई 2010
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