निहारिका या गेलेक्सी सितारों के एक हुजूम को कहा जाता है .हमारी अपनी "मिल्की -वे गेलेक्सी 'या दूध गंगा में तकरीबन २०० अरब सितारे गुरुत्व की डोर से बंधें हैं ।गुरुत्व की अदृस्य डोर पूरी कयानात(सृष्टि )को नचा रही है ,कठपुतली की मानिंद .
निहारिकाओं के उद्भव और विकाश की एक ही कड़ी रही है ।
निहारिकाओं के एक झुण्ड को जिसमे कमसे कम दस या और भी ज्यादा निहारिकायें मौजूद रहतीं हैं .,'लोकल ग्रुप 'कहा जाता है ।
इससे भी बड़े निहारिका समूह को 'सुपर गेलेक्सी 'या सुपर क्लस्टर कहा जाता है .इसमें ५० -१००० तक नीहारिकाएं मौजूद हो सकतीं है .
हमारी "मिल्की वे गेलेक्सी "भी एक सुपर गेलेक्सी 'विर्गो सुपर क्लस्टर 'में शामिल एक नीहारिका मात्र है ।
एक बात आपको और बतला दें .हमारी सृष्टि में विराम की स्थिति में एक कण भी नहीं है ।
हमारी पृथ्वी सूर्य की ,खुद सूरज हमारी "मिल्की वे गेलेक्सी "के केंद्र की ,एक गेलेक्सी अपने से बड़े समूहके केंद्र की ,और एक समूह दूसरे क्लस्टरके केंद्र की परिक्रमा कर रहा है .सारी सृष्टि परस्पर अपने ही अंगों से दूर छिटक रही है .ब्रह्माण्ड में एक अपूर्व भागम भाग ,बेतरह हलचल मची हुई है .सृष्टि का विस्तार हो रहा है .विस्तार में ही सार है .जड़ता मृत्यु है .
रविवार, 9 मई 2010
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