'फाइव मिनिट वर्क -आउट इन दा ग्रीन केन बैनिश दी ब्ल्युऊज़ 'सिर्फ पांच मिनिट हरयाली के आँचल में मटर गस्ती कीजिये ,जोगिंग या कोई भी हल्का -फुल्का व्यायाम कीजिये .मानसिक स्वास्थ्य के लिए रामबाण है हरियाली का संसर्ग .आस पास जलधाराएं हों ,नदी नाले तालाब हों फिर तो कहना ही क्या .यही सार है एक सद्य-प्रकाशित अध्धययन का ।
एस्सेक्स विश्व -विद्यालय के रिसर्चरों ने पता लगाया है सिर्फ दिन भर में एक मर्तबा पांच मिनिट के लिए किचिन गार्डन की संभाल पेड़ पौधों का संग साथ ,बागीचे में टहल कदमी ,खेती किसानी पगडण्डी के संग साइकिलिंग एक मूड एलीवेटर का काम करती है .सेल्फ एस्टीम ,आत्म -विशवास ,खुद के वजूद को तस्दीक करने का ,नायाब नुस्खा बनती है 'प्रकृति और उसके उपादान '।अवसाद से मुक्ति के इंतजामात प्रकृति छिपाए है .
'ग्रीन -एक्स्सर साइज़' इस दौर का मन्त्र है .मानसिक आरोग्य के लिए स्वास्थ्य पर होने वाले खर्च को घटाने के लिए ग्रीन एक्स्सर साइज़ का अपना महत्व है .अवसाद की दवा बन सकती है सुबह सवेरे बाग़ -बागीचों ,उपवनों ,लोदी गार्डनों की सैर ।
कई अध्ध्यनों से पुष्ट हुआ है ,आउट -डोर एक्स्सर -साइज़ मानसिक रोग के खतरे के वजन को घटाती है .आप अच्छा महसूस करने लगतें हैं .ताज़ा और तंदरुस्त .तंदरुस्ती तन की ही नहीं मन की भी ।
दस ब्रितानी अध्धयनों के विश्लेसन से जुल्स प्रेत्टी और जो बर्टन ने उक्त निष्कर्ष निकालें हैं .कुल मिलाकर इन अध्धयनों में १२५२ लोगों की पड़ताल की गई .देखा परखा गया क्या क्या शौक थे इनके .कितने लोग गार्डनिंग ,फिशिंग ,साइकिलिंग ,फार्मिंग बोटिंग ,होर्स राइडिंग जैसी गति -विधियों से जुड़े थे .कैसा था इनका मानसिक स्वास्थ्य .सबसे ज्यादा लाभ उक्त गति विधियों का उन्हें मिला था जो अवसाद ग्रस्त थे (डिप्रेसन की चपेट में थे ),अपेक्षा कृत कम उम्र थे .हालाकि लाभार्थी सभी रहे ।
ग्रीन एक्स्सर साइज़ की पांच मिनिट की आदत (खुराख )ने सेल्फ एस्टीम में इजाफा किया .अवसाद ग्रस्त व्यक्ति खुद को नाकारा ,गैरज़रूरी ,अनुपयोगी ,जीवन को निस्सार मानने समझने लगता है .ग्रीन एक्स्सर -साइज़ उसे अपनी ही नजर में आदरणीय बना देती है ।
प्रकृति के संसर्ग का अपना सुख है .प्रकृति का अपना संगीत है उद्वेलन है जो किसी भी 'आई -पोड 'से ऊपर है .प्रकृति से जुड़िये सैर के वक्त .आँख कान दोनों खुले रखिये यही इस अध्धययन का सन्देश है .मान सके तो मान प्राणी ।
सन्दर्भ -सामिग्री :-फाइव मिनिट वर्क आउट इन दा ग्रीन केन बेनिश दी ब्लूज़ (टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,में ३ ,२०१० )
मंगलवार, 4 मई 2010
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