वैसेक्तोमी (पुरुषों के लिए प्रयुक्त नस बंदी ) की तरह क्या अल्ट्रा -सोनो -ग्रेफ़ी एक अस्थाई लेकिन उलटा जाने वाला (उत्क्रमनीय रिवार्सिबिल ) गर्भ निरोधी साधन बन सकती है जिसे बस एक बार 'एक ब्लास्ट ऑफ़ अल्ट्रा साउंड 'के बतौर अन्डकोशों (टेस्तीज़ )पर डाला जाए और ६ माह तक पुरुष बधिया(अस्थाई रूप से बाँझ ,इन्फर्ताइल हो जाए )।
अलबत्ता अल्ट्रा साउंड का असर वक्त के साथ समाप्त भी हो जाता है और पुरुष फिर से गर्भाधान कर सकता है ।साउथ केरोलिना यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों का ऐसा मान -ना समझना है ,अल्ट्रा साउंड ब्लास्ट अन्डकोशों परसिर्फ एक बार डालने पर ६ माह तक स्पर्म उत्पादन निलंबित हो जाता है ।
विज्ञानी अब अपने इस विशवास को आजमाइशों की आंच से गुज़ार रहें हैं .इसे एक गैर -हारमोन सम्बन्धी गर्भ निरोधी उपाय माना जाएगा ,बाशर्ते नतीजे आशा के अनुरूप रहें ।
इन आजमाइशों के लिए 'बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउन्देशन' ने एक लाख डॉलर की अनुदान राशी मुहैया करवाई है .
पहले चरण में टेस्तीज़ स्पर्म बनाना मुल्तवी करदेतीं हैं .धीरे धीरे स्पर्म भण्डार चुक जातें हैं .बस मर्द इसी के साथ अस्थाई तौर पर इन्फर्ताइल हो जाता है .इसके कोई अवांछित प्रभाव नहीं हैं .अल्ट्रा साउंड निष्प्रभावी होने पर पुरुष अंड- कोष फिर से पहले की ही तरह स्पर-मेटा -ज़ोयाँ तैयार करने लगते हैं ।
बरसों से 'मेल- पिल' की तलाश रही है लेकिन रिसर्चर्स का रवैया ल्युक -वार्म रहा है .नतीज़ा वही ढ़ाक के तीन पांत ।
औरत को इस मामले में मर्द पर भरोसा भी नहीं है .उसे(मर्द )को अपने मज़े से मतलब रहता है ।
आरंभिक शोध उम्मीद बंधातीं है .नतीजे उत्साह वर्धक भी रह सकतें हैं लेकिन दीर्घावधि प्रभाव अल्ट्रा साउंड के अभी अनुमेय ही हैं ।
बेशक अल्ट्रा साउंड गर्भ निरोधी उपाय के बतौर १९७० आदि के दशक से ही चर्चित रहा है .लेकिन इसे कोई ख़ास वैज्ञानिक तवज्जो नहीं मिली ।
अलबत्ता स्वानों (डॉग्स)पर यह तकनीक असरकारी सिद्ध हुई है .इटली के साइंस दान इस बात की पुष्टि करतें हैं .फिल वक्त इस दिशा में काम ज़ारी है .नतीजे भविष्य के गर्भ में हैं .उम्मीद पे दुनिया कायम है ।
सन्दर्भ -सामिग्री : -अल्ट्रा साउंड वेव्स एज कोंत्रासेप्तिव ?ए ब्लास्ट्स तू दा टेस्तीज़ एवरी सिक्स मंथ्स केन प्रोव्हाइड ए टेम्पोरेरी एंड रिवार्सिबिल फॉर्म ऑफ़ बर्थ कंट्रोल (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मे१३ ,२०१० )
शुक्रवार, 14 मई 2010
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