ब्रितानी साइंस -दान ने खुद को ही एक कंप्यूटर वायरस से संक्रमित कर लिया है .मार्क गस्सों नाम के इस साइंस दान ने पहले तो एक इलेक्ट्रोनिक चिप को संदूषित (क्न्तामिनेट )किया फिर इसे अपने बाएं बाजू में इम्प्लांट (प्रत्या -रोपित )करवा लिया .इस इलेक्ट्रोनिक चिप को एक वायरस की मदद से ही प्रोग्रेम किया गाया था .यह संपर्क में आने वाले अन्य सिस्टम्स को भी इन्फेक्ट कर सकता है .मसलन कोक्लीयर इम्प्लान्ट्स से लेकर पेसमेकर्स तक को यह संक्रमित कर सकता है .ये तमाम प्रत्यारोप साइबर एतेक कि गिरफ्त में आजायेंगें .गस्सों द्वाराकाम में लिया गया
कंप्यूटर आई डी चिप्स का ही सुधरारूप है ,जो एनिमल्स को खोजने के काम में लिया जाता रहा है .गस्सों के लिए इसे सिक्योरिटीज डोर्स खोलने ,उनके मोबाइल को तलाश कर अनलोक करने के लिए प्रोग्रेम किया गया है .यह एक हाई -एंड रेडियो -फ्रीक्युवेंसी आइदेंतिफिकेसन चिप है .इसी अति -परिष्कृत टेक्नोलोजी का स्तेमाल शॉप -सीक्योरीतीज़ टेग्स और पेट्स कीशिनाख्त के लिए किया जाता रहा है .चावल के एक दाने के आकार की यह डिवाइस गस्सों को एक ओर यूनिवर्सिटी बिल्डिंग में प्रवेश दिलवा देती है दूसरी ओर उसका मोबाइल ढूंढ लाती है ।
बेशक इम्प्लान्तिद टेक्नोलोजी इन दिनों अमरीका में चलन मेंb आचुकी है लेकिन इस के अपने खतरे हैं .लाभ भी हैं .मेडिकल एलर्ट ब्रेस्लैस मरीज़ की मेडिकल हिस्ट्री तो बतला सकता है लेकिन इसे कोई ओं लाइन हैक भी कर सकता है ।
इनकी निगरानी रखना भी एक दोधारी तलवार पर चलने के समान है .आपको कोई निगरानी करता नुक्सान भी पहुंचा सकता है .चिकित्सा के अलावा अन्य क्षेत्रों में भी इसका चलन बढेगा .हो सकता यह प्रोद्योगिकी आपका आई क्यों,आपकी याददाश्त में भी एक दिन इजाफा करवाए .इंतज़ार कीजिये ।
सन्दर्भ -सामिग्री :-मेंन ए 'केरीयर 'फॉर कंप्यूटर वायरस (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मे २७ ,२०१० )
गुरुवार, 27 मई 2010
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