'इरेक्टाइल डिसफंक्शन /लिंगोथ्थान अभाव 'के लिए स्वीकृत दवा 'वियाग्रा 'अब कैंसर की एक असरदार दवा 'हरसेप्तीन'ब्रेन ट्यूमर तक पहुंचाकर इलाज़ के लिए आजमाई जायेगी .आप जानते हैं 'कैंसर 'की मेटास्टेसिस हो जाती है .एक जगह से शरीर में यह दूसरी जगह चला आता है .एक स्तन तराशी के बाद दूसरे को भी असरग्रस्त बना सकता है .फेफड़े (लंग्स )और स्तन कैंसर (ब्रेस्ट कैंसर )मेतास्तेसाइज़्द होकर दिमाग को भी कैंसर ग्रस्त बना सकता है .दिमाग में एक ख़ास किस्म का ट्यूमर हो जाता है .वियाग्रा बेशक 'एंटी -कैंसर 'दवाओं की डिलीवरी में विधायक भूमिका निभा सकती है .लेकिन कुदरत का नायाब तोहफा (हमारे रोग प्रति -रोधी तंत्र को कुदरत से मिला इनाम )'ब्लड ब्रेन बेरियर 'अभी भी एक बाधा है .कैंसर रोधी दवाओं को इसी नाके -बंदी के पार पहुंचना होगा .व्याग्रा से उम्मीदें तो हैं ,लेकिन अभी बहुत किया जाना बाकी है .
सन्दर्भ सामिग्री :-वियाग्रा केंन हेल्प ट्रीट ब्रेन त्युमर्स (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मे१० ,२०१० )
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