इज यूं एस दी इन्क्युबेटर फॉर ग्लोबल फ्लू पेंदेमिक ?यह सवाल टाइम्स ऑफ़ इंडिया के २९ मई अंक में प्रकाशित एक रिपोर्ट में अमरीकी साइंस दानों ने ही उठाया है .रिसर्चरों ने अनुमान लगाया है ,नोर्थ अमरीका फ्लू की कुछ स्त्रैंस के लिए कहीं एक 'इन्क्यु -बेटर'की तरह तो काम नहीं कर रहा ।
अब तक यही समझा जाता था 'चीन 'और दक्षिण -पूर्व एशिया ही फ्लू -स्त्रैंस का हब हैं .यहीं इनका इन्क्युबेसन और फार्मिंग होती है .कुनबा परस्ती के लिए एक अनुकूल माहौल फ्लू -स्त्रेंस को चीन और साउथ ईस्ट एशिया में ही मिलता है ।
अब मिशिगन विश्व -विद्यालय ,होवार्ड हुघेस मेडिकल इन्स्तित्युत ,फ्लोरिडा स्टेट यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों की एक टीम कह रही है ,फ्लू -सीज़न के अंत में सारीकी सारी फ्लू स्त्रैंस का खात्मा नहीं होता है (हालाकि एक सेल्फ लिमिटिंग डिजीज है फ्लू ).इनमे से कुछ साउथ अमरीका का रूख करतीं हैं .कुछ और भी दूर तक निकल जातीं हैं ।
हो सकता है 'एच १ एन१ इन्फ़्लुएन्ज़ा वायरस -ए 'के साथ भी ऐसा ही हुआ हो .पेंदेमिक बन गया था कथित स्वाइन-फ्लू ।
आखिर फ्लू अमरीका की राष्ट्रीय आपदा बनता रहा है .इस शोध से फ्लू -वायरस की अलग अलग स्त्रेंस पर नजर रखने में मदद मिलेगी .ऐसी उम्मीद है .
शनिवार, 29 मई 2010
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