आउट ऑफ़ बॉडी एक्स्पिरीयेंसिज़ से लेकर नियर डेथ एपिसोड्स के किस्से अनेक लोग बयाँ करतें हैं .आचार्य रजनीश जब जबलपुर -विश्व -विद्यालय में अध्यापन करते थे उनकी क्लास की छात्राएं अजीबो -गरीब अनुभव से गुजरतीं थीं .आखिरकार उनकी विश्व -विद्यालय से छुट्टी कर दी गई ।कुछ भातीय मानतें हैं ,शरीर छोड़ने के बाद आत्मा शरीर के गिर्द मंडराती सब कुछ देखती रहती है .यह सिलसिला कई दिनों तक चल सकता है .शायद इसीलियें १३ दिन तक जिस कमरे में आत्मा शरीर छोडती है दिया(दीपक )
जलाया जाता है ।कुछ लोग मौत के मुह से लौट कर अपने अनुभव बतलातें हैं .कैसे एक अनुपम ज्योति उन्हें बुला रही थी .कुछ राम तो कुछ लोर्ड क्रिश्ना से तो कुछ ईसा मसीह से भेंट का पूरा ब्योरा देतें हैं .कुछ दिव्य प्रकाश सुरंग में जाकर लौट आने की बात बत्लातें हैं .अध्धययन बतलातें हैं १५ -२० फीसदकार्डिएक अरेस्ट के वह मरीज़ जो क्लिनिकल डेथ के बाद भी मौत के मुह से लौट आतें हैं उस क्षण का पूरा वेळ -स्ट्रक्चर्ड और तार्किक ब्योरा देतें हैं .उनकी तर्क शक्ति काबिले गौर होती है । भारतीय मूल के एक अमरीकी विज्ञानी बाकायदा मौत के करीब पहुंचे लोगों की ब्रेन वेव एक्टिविटी बेहतरीन एनसी -फेलोग्रेफ्स से दर्ज़ करते रहें हैं .आपके अनुसार -मृत्यु के उस विधायी क्षण से पूर्व आधे से लेकर तीन मिनिट तक पेशेंट्स एक्स्पिरीयेंस्द ए बर्स्टइन ब्रेन वेव एक्टिवि .जैसे जैसे दिमाग में ओक्सिजन की कमीबेशी ,रक्त संचरण कम होता गया ,विद्युत् -ऊर्जा का सैलाब सा उमड़ पड़ा .विद्युत् की एक लहर उठी और एक हिस्से से तमाम हिस्सों तक फ़ैल गई ।विविध
और रोचक एवं दिव्य अनुभव की वजह यही विद्युत् लहर बनती है ।
ब्रिटेन में तो 'अवेयर 'नाम से एक अध्धय्यन बाकायदा ऐसे लोगों पर चल रहा है जिन्हें 'ऋ -ससितियेत 'किया जाता ,मुख में सांस फूंक कर पुनर -जीवन देने का प्रयास आखिरी क्षण तक किया जाता है .बेशक मौत के बाद क्या पुनर जीवन है इस दिशा में यह रिसर्च कुछ ना बता कह सके लेकिन मृत्यु की सिर्फ जैव -रासायनिक वजहें ही नहीं हैं .कहीं कुछ और भी है .हो सकता है 'यही ईशवर 'हो ,अल्लाह या भगवान् हो ।
सन्दर्भ -सामिग्री :-'ब्रेन वेव बर्स्ट लास्ट्स अप तू थ्री मिनिट्स इन नियर -डेथ '(दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मे ३१,२०१० ,पेज २० )
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