'स्मार्ट फोन्स एक्स्पोज़िंग किड्स तू स्युसाइड 'टाइम्स ऑफ़ इंडिया के मई ११ अंक में प्रकाशित यह खबर हम आप तक पहुंचाने के लिए व्यग्र है क्योंकि यह हमारे नौनिहालों से ताल्लुक रखती है ।
सोचा जा सकता है यदि आई -फोन से डाउन लोड की गई सामिग्री उनका अपरिपक्व अवस्था में परिचय अतिशय यौन हिंसा ,सेक्स्युअल -वायोलेंस से करवाए ,आत्मह्त्या से कराये,तब इनके दिलो-दिमाग पर जीवन और जगत की कैसी छाप पड़ेगी ।
इस सबके लिए कुसूरवार उन पेरेंट्स को ही ठहराया जाएगा जिन्होनें उनके हाथ में' स्मार्ट्स -फोन 'थमा दियें हैं ।
ऐसा ही एक स्मार्ट फोन है' एपिल्स -आईफोन '.इसकी मदद से ये नौनिहाल पलक झपकते ही ऐसे 'तथाकथित गेम्स 'डाउन लोड कर सकतें हैं जिनमे साफ़ साफ़ हिंसात्मक और दो टूक यौन प्रदर्शन है ।
गमेंट क्लासिफिकेशन से बच निकले हैं ये कथित स्मार्ट फोन्स (कमसे कम बच्चों के सन्दर्भ में तो यही कहा जाएगा ।).अलबत्ता एडल्ट्स तक इनकी पहुँच है .(हमारे यहाँ तो वैसे भी कोई सिस्टम ही नहीं है ,ना उसका अनुसरण करने वाले. १८ साल से कम उम्र के बच्चे कुछ भी खरीद खा सकते हैं ,पी सकतें हैं ,कफ सीरप से कोकेन तक )
इसका सीधा -साधा एक और अर्थ भी निकलता है ये फोन्स इन बालगोपालों के माँ -बाप ने इनके नन्ने हाथों में थमा दिए हैं ।
एक बात और बच्चों के हाथ में यह मेटीरियलना 'वीडियोगेम्स कंसोल्स 'थमा सकतें हैं ,ना मॉस कम्युनिकेशन का कोई और ज़रिया (मेग्जींस ,मूवीज ,इलेक्ट्रोनिक मिडीया आदि )।
एपिल्स 'एप स्टोर 'भण्डार है ऐसी सामिग्री का .डाउन लोड करने के लिए नौनिहालों को चाहिए बस एक क्रेडिट कार्ड और एक मिनिट का वक्फा ।
बस 'आई ट्यून्स एकाउंट 'तैयार .फिर खुला खेल फरुख्खा- बादी.
मंगलवार, 11 मई 2010
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