शनिवार, 29 मई 2010

पृथ्वी पर संचार तंत्र को नस्ट कर सकता अन्तरिक्ष -मलबा .

'स्पेस -जंक मे क्रेश अर्थ्स-नेटवर्क 'अपनी जीवन अवधि भुगता चुके उपग्रह ,नाकारा रोकिट्स ,मिज़ईल्स के यहाँ वहां छितराए तैरते टुकड़े ,उल्काओं के अंश पृथ्वी की कक्षा में निरंतर मंडरा रहें हैं .अन्तरिक्ष कबाड़ का कोई निश्चय ठौर ठिकाना नहीं है ,कब पृथ्वी की कक्षा में स्थापित उपग्रहों की परस्पर ज़ोरदार टक्कर करवा पृथ्वी के संचार तंत्र को चौपट करवा दे .इसलिए अब ऐसे शीर्षक चौकांते कम भयऔर आशंका ज्यादा पैदा करतें हैं ।
यह चेतावनी किसी ऐरा गैरा नथ्थू खेडा ने नहीं अमरीकी प्रति -रक्षा विभाग ने प्रसारित की है ।
साइंसदानो क मुताबिक़ पृथ्वी की कक्षा में बे -तरतीब तैरता यह कचरा एक ऐसी स्थिति में आ पहुंचा है जहां ऐसी टक्कर होने की संभावना अधिकतम है .एक टिप -पिंग -पॉइंट तक पहुँच रहा है .,यह अंतरीक्ष मलबा .आप जानतें हैं ?सबसे बड़ा सर्विस सेक्टर बन रहा है 'स्पेस सर्विस सेक्टर .२५० अरब डॉलर का उद्योग है यह ।
कबाड़ क दो टुकड़े आपस में टकराने की देर है ,हज़ारों हज़ार और टुकड़े तैरने लगेंगे अंतरीक्ष में आवारा .नीयर और फार अर्थ ओर्बिट्स में .एक ऐसी श्रृखला बद्ध क्रिया चलेगी ,एक ऐसी चैन -रियेक्सन बनेगी जो बेलगाम होकर तमाम टेलीफोन संजाल ,टी वी सिग्नल ,ग्लोबल -पोजिशनिंग -सिस्टम ,वेदर -फोरकास्ट क परखचे उड़ा देगी .संचार क ठप्प हो जाने का मतलब सभी जानतें हैं ।
सन्दर्भ -सामिग्री :-स्पेस जंक मे क्रेश अर्थ्स नेटवर्क्स (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मे २९ ,२०१० )

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