अवांछित जंक मेल्स में से अपने काम की मेल छाँटकर पढ़ना ,उनका संसाधन करना ,ज़वाब देना ,फाइल्स को यथा स्थान संजोकर रखना दिनानुदिन दुष्कर हो रहा है .फलस्वरूप आदमी नाहक ही लम्बी गहरी सांस छोड़ने लगता है ,उत्तेजना में .ऐसे में खून में कार्बन -डाय -ओक्स्साइड का टेंसन ज़रुरत से कम होने लगता है .(बेहोश भी हो सकता है ,समय का पीछा करता इंसान )।
ऐसे में स्थाई ना सही अस्थाई तौरपर तो सांस रुक ही सकती है क्योंकी रिस -पाय -रिट्री सेंटर को पर्याप्त उत्तेजन (स्तिम्युलस)हासिल नहीं होपाता .ओवर -ब्रीदींग के दौरान यही होता है ,रक्त में मौजूद कार्बन दायओक्स्साइड कम होने लगती है .रिस -पाय -रेत्री सिस्टम इम्पुल्सिज़ दिस -चार्ज नहीं कर पाता.यही है 'ई -मेल -अप्नेअ "।
आर्तीरियो -स्केलोरोसिस ,मेनिन्जाइतिस,कोमा ,हार्ट और किडनी डिजीज में अप्नेअ देखने को अक्सर मिल जाता है ।
अदबदाकर सांस रोकने पर भी ,चेयने -स्टोक्स -रिस -पाय -रेसन से भी ऐसा होता है .स्वस्थ शिशु और कभी -कभार गहन निद्रा में कई बुजुर्ग भी इसका शिकार क्षण भर को हो जातें हैं ।
अब इस की वजह 'ई -मेल्स 'की छंटनी बन रही है .वजह है स्ट्रेस ,जो पैदा होती है काम की ई -मेल ,ई -मेल कबाड़ से तलाशने में ।
रिसर्चर लिंडास्टोन ने इस हाई -ब्रीदशब्द का पहली मर्तबा स्तेमाल किया है .जी का जंजाल बन रहाहै 'मेल -फाइलिंग ,फॉर -वर्डिंग ,प्रोसेसिंग '.नतीज़ा है 'ई -मेल -अप्नेअ '.
रविवार, 30 मई 2010
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