रविवार, 2 मई 2010

शोक मनाते हैं अपने स्वजन की मौत का चिम्पैंजी भी .

स्कोट लैंड वन्य- जीव -पार्क के एक विदियोफुतेज़ में चिम्पैंजियों के एक समूह को अपने मरणासन्न साथी को सहलाते ,क्लीन करते दिखलाया गया है .इतना ही नहीं तीन चिम्पैंजियों को इस वीडियो मेंमौत के मुह में जाती इस मादा चिम्पैंजी का किसी डाक्टर की तरह मुआयना (जांच )करते दिखलाया गया है .यह तीनों मिलकर पनस्य नाम की इस मादा में जीवन के संकेत ढूंढते दिखलाए गए हैं ।
इतना ही नहीं जब पनस्य शरीर छोड़ जाती है ,तमाम रात उसकी बेटी उसके साथ लेट कर गुजारती है .उसे अकेला नहीं छोडती .अगले कुछ दिनों तक समूह के सभी चिम्पैंजी खामोश और गम जदा दिखलाई देतें हैं .मौत से पस्त और पराजित जैसे अपने संवेगों पर लगाम लगाकर स्ट्रोंग दिखने की नाकाम कोशिश कर रहें होंवें ।
यूनिवर्सिटी ऑफ़ स्तिर्लिंग ,स्कोत्लैंड के मनो -विज्ञानी जेम्स एंडरसन ने इस अध्धय्यन को संपन्न किया है .आप विश्व -विद्यालय के मनो -विज्ञान विभाग में व्याख्याता के बतौर कार्य कर रहें हैं ।
बेशक मनुष्य में विवेक है .तर्क करने की शक्ति है .भाषिक ज्ञान है .विज्ञान प्रदत्त उपकरणों का स्तेमाल वह बा खूबी अपने हित में कर सकता है .लेकिन होमो -सेपियंस और इतर प्राणियों में उतना भी फासला नहीं है ,शार्प बाउन्द्रीज़ नहीं है ।
सन्दर्भ -सामिग्री :-ला -इक अस ,चिम्प्स टू मौरंन दी डेड (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,अप्रैल २८ ,२०१० )

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