रविवार, 9 मई 2010

आज है महिला आज़ादी की प्रतीक 'पिल 'की स्वर्ण -जयन्ती

आज 'पिल ','आई पिल 'और कंडोम को आड़े वक्त में काम आने वाली गर्भ -निरोधी चीज़ के रूप में समाज में एक ख़ास मुकाम हासिल है .औरत की यौन आज़ादी और एच -आइवी -एड्स से बचाव के रूप में कंडोम अपनी अलग जगह बना चुका है .आज स्पर्मी -साइड युक्त यानी स्पर्म या शुक्राणु नाशी कंडोम भी उपलब्ध हैं .महिलाओं के लिए अलग से कंडोम हैं लेकिन अब से पचास -साथ साल पहले यह आलम ना था ।
स्त्री -हारमोन का पता चलने पर पिल की संभावनाओं के द्वार आप से आप खुलते चले गए ।
इन्हीं हारमोनों की मदद से गर्भाधान(इन वाइवो फ़र्तिलाइज़ेसन ) को मुल्तवी रखने की पहली आज़माइश जर्मनी में की गई ।
१९२२ :लुडविग हबेर्लान्द्तने अंडा -शय से ओवम के क्षरण (रिलीज़ ऑफ़ फिमेल -एग फ्रॉम दी ओवरी )को रोकने की आज़माइश खरगोशों (रेबिट्स )पर संपन्न कीं।
१९५५ :एक अमरीकी डॉ ग्रेगोरी पिंचुस ने'पिल ' तैयार की ।
१९५६ :पश्चिमी जर्मनी के बाजारों में 'पिल 'उतारी गई ।
१९५७ :अमरीका में 'पिल 'का स्तेमाल हारमोन सम्बन्धी गडबडी दुरुस्त करने के लिए आरम्भ हुआ ।
१९६० :मे९ ,१९६० को अमरीकी खाद्य और दवा संस्था "ऍफ़ डी ए '"ने पहली गर्भ निरोधी टिकिया को खुले बाज़ार मे बिकने की मंज़ूरी दी .लेकिन यह वैधानिक रूप से सिर्फ और सिर्फ शादी शुदा औरतों को ही बेची जाती थी .आज की तरह आम फ़हम नहीं थी इसकी बिक्री ।
१९७२ :पिल सब को उपलब्ध थी .बिक्री पर से लगाम हठाली गई ।
केज्युअल सेक्स सम्बन्ध चलन मे आये .अब औरत को अपनी फर्टिलिटी का विनियमन करने का अधिकार मिल गया था .अपनी सेक्स्युअलिती को भी .'यह शरीर मेरा है ,मैं जैसे चाहूँ इसका स्तेमाल करू ।'कहने वाली औरत पैदा हो चुकी थी .
१९८० :१९८० का दसक एच आई वी -एड्स के नाम रहा .अब बचावी चिकित्सा के रूप मे कंडोम की सरकारी जय बोली जाने लगी .जय -हो कंडोम देवता .कंडोम एक फायदे अनेक .ज़रुरत का साथी ,भरोसे मंद साथी 'कंडोम 'सदैव 'साथ रखिये ।
रहिमन कंडोम राखिये बिन कंडोम सब धूम ।धूम्र पढिये धूम को .धूम्र यानी धुंआ .
अब तक आलमी स्तर पर २० करोड़ से भी ज्यादा महिलायें ,आज भी 'पिल 'को भरोसे का साथी मानतीं हैं ।
सिर्फ गर्भ निरोधी उपाय आजमा कर ५ करोड़ अनचाहे गर्भों (अन वान्तिद प्रेग्नेंसीज़ )को टाला जा सकता है .'लडका है या लडकी' का सवाल ही नहीं .अल्ट्रा साउंड की ऐसी की तैसी .बेड़ा गर्क कर दिया इसने तीसरी दुनिया का ।औरत- मर्द अनुपात बिगाड़ दिया .
अब एक लाख पचास हजार महिलाओं को प्रसूति के दौरान होने वाली मौतों से बचाया जा सकता है ।
६,४०,००० नौनिहालों (नवजातों )को मरने से बचाया जा सकता है ।
बीसवीं शती का बेहतरीन तोहफा रही आई है 'गर्भ निरोधी टिकिया '
अब माला नहीं 'माला डी 'का जाप हो रहा है .

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