'निकोटिन इन्क्रीज़िज़ मेमोरी फंक्शन '-एक रिपोर्ट ,दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मे१० ,२०१० .
ऐसा पहले ही से माना जाता है ,निकोटिन हमारी ठीक से सोच पाने की क्षमता बढ़ाती है .हमारी किसी भी आज़माइश या परीक्षण मे वृद्धि करती है ।
अब कुछ साइंस दानों की माने तो 'निकोटिन 'हमारे मेमोरी फंक्शन को भी बढा देती है .सीधे सीधे कहें तो हमारी याददाश्त को भी बढा देती है ।
नेशनल इन्स्तित्युत ऑफ़ ड्रग एब्यूज ,यु .एस के स्टीफेंन हेइश्मन और साथियोंने निकोटिन पर अब तक उपलब्ध साहित्य का अनुशीलन करने पर एक दिलचस्प निष्कर्ष निकाला है ,निकोटिन ना सिर्फ हमारे द्वारा किसी चीज़ पर ध्यान देने (अटेंशन )मे वृद्धि करती है ,याददाश्त भी बढ़ाती है .
विशेष कथन :कृपया गौर करें ,हमारा मकसद सदैव ही समाज उपयोगी सूचनाएं ,विज्ञान -शोध सम्बन्धी रिपोर्ट सामने लाना रहा है .पता नहीं क्यों हमें इस रपट मे से 'गाइदिद-रिसर्च 'की बू आती है .होसकता है 'निकोटिन -हाइप हो यह रिपोर्ट .निकोटिन सेवन की हम (प्रस्तोता )भारी कीमत चुका है .स्मोकिंग स्टेंस ,दन्तावली -मुक्तावली का पीला पड़ना ,ओपन हार्ट सर्जरी ,और सबसे ज्यादा .सौन्दर्य -बोध (एस्थेटिक सेन्स )का ह्रास .औरों के फेफड़ों का अपने शौक के लिए हम सेवन करते रहे और अपने आप को बहुत प्रगति शील बुद्धि शाली मानते समझते रहे .बहर - सूरत हम इस रपट के नतीजों से सहमत नहीं है .
आप जानते हैं पश्चिममे लोग 'स्मोकिंग 'से छिटक रहें हैं .टाबेको-लाबी ,तम्बाखू निगम तीसरी गरीब दुनिया पर नजरें टिकाये है .भाई बचके ज़रा .
सोमवार, 10 मई 2010
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