लक्ष्य के पीछे भागती काम क़ाज़ी महिलाआज तरक्की तो पा रही है लेकिन दिल को 'जॉब स्ट्रेस 'की कीमत अदा करनी पड़ रही है .ऐसी ही महिआलों के लिए खासकर युवतियों के लिए वर्क स्ट्रेस ने हार्ट -डिजीज के खतरे का वजन दोगुना कर दिया है ।
ग्लोस्त्रूप-यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल, डेनमार्क के रिसर्चरों के मुताबिक़ जो महिलायें काम का बेहद दवाब महसूस कर रहीं हैं उनके लिए दिल की बीमारियों का खतरा ५० फीसद बढा हुआ पाया गया है ,बरक्स उनके जिनके लिए वर्क स्ट्रेस मेनेजेबिल है ।
लाइफ स्टाइल फेक्टर्स जैसे स्मोकिंग आदि का हिसाब किताब लेने के बाद भी इनकी वजह से पैदा खतरे को अलग रख के देखने के बाद भी वर्क स्ट्रेस दिल के लिए खतरे के वजन को दोगुना बढाए रहता है ।
जो महिलायें अपेक्षा - कृत बस थोड़ा सा,ही ज्यादा' वर्क- स्ट्रेस' महसूस करतीं हैं उनके लिए भी इस खतरे का वजन २५ फीसद बढा हुआ पाया गया है .ज़ाहिर है 'जॉब स्ट्रेस 'हार्ट स्ट्रेस बन रहा है .दिल को आराम नहीं है ।
सन्दर्भ -सामिग्री :-जॉब स्ट्रेस रेज़िज़ हार्ट डिजीज रिस्क इन वोमेन (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मे७ ,२०१० )
विशेष कथन :-इन तमाम महिलाओं की नजर एक शैर कुछ यूं है :पूछना है गर्दिशे एय -याम से ,हम भी बैठेंगें कभी आराम से .
गर्दिशे -एय -याम यानी गर्दिश के दिन .
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